अशोक गहलोत का ऐतिहासिक कदम...गिग वर्कर्स के लिए उम्मीद, सामाजिक सुरक्षा के लिए बनेगा कल्याण बोर्ड
Rajasthan Gig Workers Bill: राजस्थान विधानसभा में 24 जुलाई, सोमवार का दिन लाल डायरी और हंगामे के लिए याद रखा जाएगा लेकिन 15वीं विधानसभा के 8वें सत्र में सोमवार को ही सरकार ने एक ऐतिहासिक बिल भी पारित किया है. दरअसल राजेंद्र गुढ़ा प्रकरण के बाद हुए हंगामे के बीच गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा देने वाला एक विधेयक पारित कर दिया गया जिस पर कोई भी बहस नहीं की गई. बता दें कि ओला, उबर, स्विगी, ज़ोमैटो और अमेज़ॅन आदि जैसी कंपनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स कहलाते हैं.
राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 में राज्य में काम कर रहे गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देता है. वहीं बिल में गिग वर्कर्स के लिए 'वेलफेयर फीस' लेने का प्रावधान भी किया गया है जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर हर लेनदेन पर ली जाएगी.
दरअसल दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने इस बारे में सुझाव दिया था जिसके बाद राहुल ने सीएम गहलोत से गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून को लेकर ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कहा था. वहीं कानून लाने को लेकर राज्य सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था और रोजगार में प्रमुख योगदान के बावजूद, गिग वर्कर्स असंगठित श्रमिकों का हिस्सा हैं और अभी भी कई श्रम कानूनों के तहत कवर नहीं किए गए हैं.
गिग वर्कर्स के लिए बनेगा कल्याण बोर्ड
वहीं बिल प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स को सामान्य और विशिष्ट सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अलावा किसी भी शिकायत के लिए सुनवाई का अवसर देता है. विधेयक के तहत, राज्य में सक्रिय गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स/प्लेटफ़ॉर्म को पंजीकृत किया जाएगा.
वर्कर्स को अनिवार्य रूप से सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने के लिए गिग वर्कर्स के लिए एक कल्याण बोर्ड और कल्याण कोष भी स्थापित किया जाएगा जहां श्रम मंत्री "प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स कल्याण बोर्ड" के अध्यक्ष होंगे जिनकी हर 6 महीने में कम से कम एक बार बैठक होगी.
वहीं सरकारी अधिकारियों के अलावा, बोर्ड में गिग वर्कर्स और राज्य में "ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के एग्रीगेटर्स, मालिकों और निर्माताओं" में से हर एक 2 प्रतिनिधि होंगे जिन्हें सरकार द्वारा नामित किया जाएगा. इसके बाद, दो और प्रतिनिधियों को भी राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा.
एग्रीगेटर्स करेंगे वर्कर्स का पंजीकरण
वहीं विधेयक में सभी गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स को पंजीकृत करने का भी प्रावधान है, जिसमें कहा गया है कि "एग्रीगेटर्स राज्य सरकार को इस अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों के भीतर उनके साथ जुड़े या पंजीकृत सभी प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स का डेटाबेस प्रदान करेंगे. इसके अलावा सभी प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कर्मचारी राज्य सरकार के साथ पंजीकृत होंगे.
वहीं राज्य सरकार गिग वर्कर्स का एक डेटाबेस बनाए रखेगी और जिन्हें एक आईडी कार्ड भी दिया जाएगा. इसके साथ ही एग्रीगेटर्स को भी अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों के भीतर राज्य सरकार के साथ पंजीकृत होना होगा और राज्य सरकार सक्रिय एग्रीगेटर्स का एक रजिस्टर बनाकर रखेगी.
गिग वर्कर्स के लिए बनेगा फंड
वहीं विधेयक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कि "प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स फंड और कल्याण शुल्क" बनेगा जिसके तहत गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष की स्थापना की जाएगी जिसमें अन्य स्रोतों के अलावा, एग्रीगेटर से गिग वर्कर्स कल्याण कोष के लिए शुल्क लिया जाएगा.
वहीं सरकार ने जुर्माने का भी प्रावधान किया है. यदि कोई एग्रीगेटर समय के भीतर कल्याण शुल्क का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उस पर 12 फीसदी की दर से ब्याज भी लगाया जाएगा. वहीं यदि एग्रीगेटर्स किसी अन्य खंड के नियमों का उल्लंघन करता है तो विधेयक राज्य सरकार पहली बार 5 लाख रुपये तक और बाद के फिर उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है.