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24 घंटे काम, युवाओं की फौज और विरोधी दलों पर पैनी नजर…कैसे काम करता है कांग्रेस का वॉर रूम

राहुल गांधी रविवार को जयपुर में कांग्रेस के वॉर रूम में कार्यप्रणाली देखने पहुंचे थे.
12:20 PM Nov 20, 2023 IST | Digital Desk
24 घंटे काम  युवाओं की फौज और विरोधी दलों पर पैनी नजर…कैसे काम करता है कांग्रेस का वॉर रूम

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में नवंबर का महीना अपने आखिरी पड़ाव में है जहां गुलाबी सर्दी की आहट के बीच राजस्थान में राजनीतिक गर्माहट अपने चरम पर है. सूबे के सियासी गलियारों में जहां प्रचार तंत्र और बयानों का शोर है वहीं चुनावी मुहाने पर खड़ी मरुधरा की जनता अपने महबूब नेताओं के दीदार करने में व्यस्त है. वहीं नेता गांव-गांव जाकर एक-एक वोट के लिए जनता की नब्ज टटोल रहे हैं.

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इधर चुनावी सरगरमियों के बीच राजस्थान में बीजेपी खेमे की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाल रखा है. वहीं सत्तारूढ. दल कांग्रेस से सूबे के मुखिया अशोक गहलोत और राहुल गांधी दोनों मैदान में उतरे हुए हैं. इस बीच सूबे के दोनों ही मुख्य दलों की चुनावी रणनीति को लेकर काफी चर्चा हो रही है जहां राजधानी जयपुर में बीजेपी और कांग्रेस के वॉर रूम से एक दूसरे के खिलाफ रणनीति तय की जा रही है.

बीते रविवार को जयपुर में कांग्रेस के वॉर रूम में कार्यप्रणाली देखने राहुल गांधी अचानक पहुंचे जहां वॉरूम के चेयरमैन पूर्व आईएएस शशिकांत सैंथिल की टीम से मुलाकात की. बता दें कि 24 घंटे चलने वाले इन वॉर रूम में कांग्रेस की हर रणनीति, डे-टू-डे मॉनिटरिंग और विधानसभा के हिसाब से सभी प्रत्याशियों से संवाद स्थापित किया जाता है. वहीं बीजेपी के वॉर रूम में कांग्रेसी नेताओं के काउंटर और पलटवार तुरंत तैयार किए जाते हैं. आइए जानते हैं कैसी रहती है दोनों वॉर रूम की कार्यप्रणाली.

पूर्व IAS के जिम्मे है कांग्रेस का वॉर रूम

जयपुर में प्रदेश कांग्रेस वॉर रूम नाम से संचालित हो रहे वॉर रूम में 24 घंटे काम किया जाता है जहां पूर्व आईएएस शशिकांत सैंथिल यह मोर्चा संभाल रहे हैं. इससे पहले वह तमिलनाडु में भी यही जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वॉर रूम में दिनभर हलचल रहती है जहां सुबह टीम के साथ स्टैंडअप मीटिंग के बाद बूथ अध्यक्ष से जिलाध्यक्ष और प्रत्याशी से लेकर प्रदेश पदाधिकारी तक से संवाद किया जाता है. वॉर रूम में कई तरह की टीम एक साथ काम करती है.

टीमों के साथ युवाओं की फौज

रिसर्च टीम - यह टीम डेटा कलेक्शन और बड़े नेताओं के भाषण दौरों के लिए डेटा व प्लानिंग करने के साथ ही कार्यकताओं से टच में रहती है. इसके अलावा हर गांव की महिलाओं से छोटी सामूहिक मीटिंग, अनौपचारिक बातचीत कर फीडबैक लेती है.

कंटिजेंसी डिविजन - यह टीम हर दिन के काम को मैनेज करने के साथ ही सोशल मीडिया की वर्किंग, कंटेंट डिजाइन जैसे काम करती है. इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट, बूथ कार्यकर्ता व कमेटी की वर्किंग जैसी रणनीति तैयार करती है.

लीगल सेल- इस टीम में 10-12 एक्सपर्ट की एक टीम रहती है जो शिकायतों का निपटारा करने के साथ ही विरोधी दलों के आचार संहिता उल्लंघन मामलों पर नजर बनाए रखती है.

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