सूरत ट्रैक साजिश मामला: अवार्ड के लिए रेलकर्मियों ने ही रची थी साजिश, 140 कार्मिको ने 48 घण्टे में ऐसे किया खुलासा
Surat Train Derailment Case: सूरत के नजदीक कीम और कोसंबा रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक के फिशप्लेट और ईआरसी खोलने के मामले में रेलवे को जानकारी देने वाला ट्रैकमैन ही मुख्य आरोपी निकला है। उसके साथ पेट्रोलिंग करने वाले अन्य दो रेलकर्मियों ने भी षडयंत्र में साथ दिया। रेलकर्मियों ने अवार्ड पाने के चक्कर में साजिश रची थी। 140 अधिकारियों ने महज 48 घण्टे में इस घटना का खुलासा कर दिया है।
मुंबई-दिल्ली मेंन लाइन पर रेल ट्रैक की फिश प्लेट निकालकर ट्रेन हादसा करवाने की साजिश का 48 घण्टे में ही खुलासा कर दिया है। एनआईए,गुजरात एटीएस, पुलिस और आरपीएफ के 140 लोगो ने 48 घण्टे में ही ओरी वारदात का खुलासा कर दिया है। कीम रेलवे स्टेशन के नजदीक 21 सितंबर को ट्रैक पर फिशप्लेट व ईआरसी खोलकर ट्रैक पर रखकर गरीबरथ एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की साजिश रची थी। इस पर पुलिस सहित अन्य जांच टीमों ने मामले की जांच शुरू की।
घटना को सबसे पहले देखने और रेलवे अधिकारियों को सूचना देने वाले सुभाष कुमार, कृष्णदेव पोद्दार ने पुलिस को बताया था कि उसने मोबाइल में फोटो व वीडियो लिए हैं। पुलिस जांच में ट्रैक पर ट्रेन के आने से पहले व सूचना मिलने के समय के बीच बड़ी संख्या में फिशप्लेट और ईआरसी खोलना असंभव जैसा लगा। इसके चलते पुलिस ने पेट्रोलिंग में शामिल तीनों रेलकर्मियों के मोबाइल की जांच की तो पूरा सच सामने आया है।
दूसरे रेलकर्मी मनीष कुमार सूर्यदेव मिस्त्री के मोबाइल में ट्रैक पर रखे ईआरसी क्लिपों के फोटो लेने के बाद डिलिट कर दिया था, जो फोन की रिसाइकिलबिन हिस्ट्री जांचने में सामने आ गए। इसके बाद पुलिस ने तीनों से कड़ी पूछताछ शुरू की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि रेलकर्मियों ने अवार्ड (इनाम), रात्रि ड्यूटी से निजात मिलने व परिवार के साथ बाहर जाने का समय मिलने के लिए षडयंत्र रचा था।