IPS की नौकरी छोड़ कृष्ण भक्ति में हुए लीन, वर्दी छोड़ पीतांबर किया धारण
एक अच्छी सरकारी नौकरी पाना हर व्यक्ति का सपना होता है। इसके लिए हर युवा जी जान से मेहनत भी करता है। लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो माया मोह से दूर होकर एक ऐसे संसार में बस जाना चाहते हैं जिनके लिए एक नौकरी कोई मायने नहीं रखती। फिर चाहे आईएएस या आईपीएस जैसे बड़े स्तर की नौकरी ही क्यों ना हो।
यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन सच है। जी हां हम बात कर रहें है चार ऐसे आईपीएस अधिकारियों की जिन्होंने लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ भक्ति मार्ग अपनाया। उनके लिए शानों-शौकत से बढ़कर श्री कृष्ण की भक्ति करना था। कोई मीरा की तरह भगवान कृष्ण के लिए सबकुछ छोड़ने को तैयार था तो कोई कबीरदास की तरह मोह माया की दुनिया छोड़ देना चाहता था। जिस यूपीएससी परीक्षा के लिए लोग दिन-रात मेहनत करते हैं, उस नौकरी को इन अधिकारियों ने एक पल में छोड़ दिया।
भारत के इन चार आईपीएस ऑफिसर ने कुछ ऐसा ही मार्ग अपनाया। इन ऑफिसर्स के नाम हैं कुणाल किशोर, गुप्तेश्वर पांडेय, डीके पांडा और भारती अरोड़ा। इन चारों अफसरों को श्रीकृष्ण की ऐसी धुन लगी कि लग्जरी गाड़ी का सफर छोड़ पैदल चलना इनको ज्यादा रास आया। रेशमी कपड़े छोड़ इन्होंने पीतांबर धारण कर लिया। तो आइए जानते हैं इन आईपीएस अधिकारियों के बारे में…
1. कुणाल किशोर
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है, आईपीएस कुणाल किशोर का। जिन्हें एक दबंग आईपीएस के रूप में जाना जाता था। इनके जीवन में सबकुछ अच्छा चल रहा था, एक सफल जीवन, पावरफुल नौकरी सब था। इन सब के बावजूद उनका नौकरी में मन नहीं लग रहा था। इसलिए वे कृष्ण की भक्ति में ऐसे लीन हुए कि आईपीएस की नौकरी तक छोड़ दी। इसके बाद वे पटना के लोकप्रिय महावीर मंदिर से जुड़ गए। नौकरी छोड़ने के बाद चारों ओर उनके खूब चर्चे भी हुए। भक्तिमार्ग अपनाने के बाद उन्हें आचार्य किशोर के नाम से जाना जाने लगा। बता दें कि वे संस्कृत विषय के विशेषज्ञ भी हैं। पूर्व में वे केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं।
2. गुप्तेश्वर पांडेय
बिहार के पूर्व डीजीपी और आईपीएस अधिकारी ने भी भक्ति का रास्ता ऐसा चुना कि, नौकरी तक छोड़ दी। गुप्तेश्वर पांडेय नामक इस आपीएस अधिकारी ने नौकरी छोड़ देश के कोने-कोने में धुमकर प्रवचन देना शुरू कर दिया। हालांकि पांडेय ने अपनी नौकरी पहले चुनाव लड़ने के लिए छोड़ी थी। इसके बाद वे भक्ति रस में खो गए और माया मोह का संसाह छोड़ दिया। दरअसल उन्होंने जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण उनका राजनीति से भी मोह खत्म हो गया। इसके बाद वे कृष्म की भक्ति करने लगे। इतना ही नहीं आज वे विदेशों में भी ऑनलाइन प्रवचन देते हैं।
3. डीके पांडा
इसके बाद नाम आता है डीके पांडा का… जो 1971 बैच के उत्तरप्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे। पांडा पर कृष्ण भक्ति का ऐसा चाव चढ़ा कि वे ड्यूटी के दौरान भी राधा जैसा पहनावा रखने लगे थे। दरअसल उन्हें एक बार श्री कृष्ण का सपना आया। जिसके बाद 2005 में उन्होंने वीआरएस लेकर भक्ति का रास्ता चुना। वह कभी-कभी लोगों से छिपकर राधा बन जाया करते थे। इसके बाद वे सुर्खियों में उस समय आए, जब एक बार वे नई दुल्हन की तरह सजे। मांग में सिंदूर लगाए, माथे पर बिंदी, कानों की बालिया पहने और हाथ में चूड़ियां धारण किए नजर आए। इतना ही नहीं, एक बार वे पीला सूट पहनकर पैरों में घुंघरू बांधकर ऑफिस पहुंच गए। बता दें कि पांडा उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले हैं।
4. भारती अरोड़ा
हाल ही में इस मार्ग पर चलने का निर्णय भारती अरोड़ा नामक महिला ने लिया। जो कि हरियाणा कैडर की आईपीएस रही थी। उन्हें भी एक दबंग पुलिस अधिकारी के तौर पर जाना जाता था। लेकिन भगवान की भक्ति में वे ऐसे खोई कि, अपनी नौकरी पूरी होने के 10 साल पहले 2021 में ही उन्होंने वीआरएस ले लिया। अपने स्वेच्छिक सेवानिवृति के पत्र में भी उन्होंने यही बात लिखी कि वह चैतन्य महाप्रभु, कबीरदास और मीराबाई की तरह कृष्ण की भक्ति करना चाहती है। उनके इस निर्णय के बाद उनकी हर तरफ खूब चर्चा हुई।
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