भीलवाड़ा: प्यारचंद हत्याकांड का खुलासा, पुलिस ने 5 आरोपी दबोचे…50 लूट की वारदातों को भी दिया अंजाम
भीलवाड़ा। राजस्थान के भीलवाड़ा में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। भीलवाड़ा पुलिस ने एक महीने पहले सुरास गांव में हुई हत्या का पर्दाफाश कर दिया है। पुलिस ने हत्याकांड में शामिल 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि सभी आरोपी एक ही गिरोह के है और चित्तौड़गढ़ के रहने वाले है। इस वारदात को अंतरराज्य रामनामी-मादलिया लूट गिरोह ने अंजाम दिया था। गिरोह के सरगना सहित पांच बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरोह ने प्यारचंद हत्याकांड के साथ ही जिले में लूट की करीब 50 घटनाओं को करना भी कबूला है।
क्या है मामला…
रायपुर थाना प्रभारी सिद्धार्थ प्रजापत ने बताया कि 16 जुलाई की रात को भीलवाड़ा के सुरास गांव में बुजुर्ग प्यारचंद पुत्र छोगा कुमावत के घर में बदमाश लूट की नियत से घुस गए। बदमाश बुजुर्ग की पत्नी चांदी देवी के पहने हुए सोने के गहनों को लूटने लगे। बुजुर्ग प्यारचंद बीच-बचाव करने लगा तो बदमाशों ने पत्थर से उसके सिर पर वार कर दिया। जिससे मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद बदमाशों ने लाठी और लोहे के सरियों से चांदी देवी को भी पीटा। वह भी गंभीर घायल हो गई। इसके बाद बदमाश चांदी देवी के पहने हुए और अलमारी में रखे हुए सोने के जेवर लूटकर भाग गए।
पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए इस हत्याकांड मामले में चित्तौड़गढ़ के आरणी, राशमी निवासी राजूनाथ (30) पुत्र हिरानाथ कालबेलिया, कालूनाथ (19) पुत्र मोहननाथ, सुरेश नाथ (20) पुत्र प्रकाश नाथ कालबेलिया, कसरखेड़ी कपासन निवासी दिनेश (20) पुत्र नगजीराम और आकाश उर्फ भल्ला (19) पुत्र नगजीराम को गिरफ्तार किया है। इसमें से राजूनाथ के खिलाफ अलग-अलग थानों में 14 मामले दर्ज है। यहीं इस गिरोह को ऑपरेट करता है। वहीं दिनेश के खिलाफ 5 और आकाश के खिलाफ 1 मामला दर्ज है।
आरोपियों ने 50 से ज्यादा लूट की घटना करना कबूला…
पुलिस की पूछताछ में पांचों आरोपियों ने रायपुर, कारोई, करेड़ा, रायला, मावली, बागोर थाना क्षेत्र के अलावा उदयपुर, राजसमंद व चित्तौड़गढ़ में लूट की 50 वारदात करना कबूला है।
डेरा डालकर रेकी, फिर वारदात को देते है अंजाम…
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह काफी शातिर है। यह अलग-अलग कस्बों के बाहर डेरे डालते है। इसके बाद वहां पूरी स्थिति और गलियों को भांप लेते है। इसके बाद उन घरों को चिन्हित करते है, जहां लूट करती होती है। इसके बाद वह अपना डेरा उस कस्बे के बाहर से हटा देते है। कुछ दिनों बाद गिरोह के सदस्य गांव से करीब 2 से 3 किमी दूर अपनी बाइकों को खड़ा कर गांव में आकर घरों में लूट व चोरी कर फरार हो जाते है।
(इनपुट-जयेश पारीक)