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झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वालों की खैर नहीं, तीन के खिलाफ न्यायालय में इस्तगासे पेश

अजमेर पुलिस ने झूठे मुकदमे दर्ज करने वालों पर अब सख्त रूख अपनाने का फैसला किया है।
03:12 PM May 02, 2023 IST | Anil Prajapat

अजमेर। अजमेर पुलिस ने झूठे मुकदमे दर्ज करने वालों पर अब सख्त रूख अपनाने का फैसला किया है। जिला पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट के निर्देश पर क्रिश्चयनगंज थाना पुलिस ने झूठे पाए गए पोक्सो एक्ट के तीन मामलों में न्यायालय में इस्तगासे पेश किए हैं, जिन्हें न्यायालय ने मंजूर कर लिया है। अब इन पर सुनवाई होगी।

क्रिश्चयनगंज थानाधिकारी करण सिंह ने बताया कि बलात्कार, पोक्सो एक्ट, एससी-एसटी एक्ट व आईपीसी की धाराओं में दर्ज प्रकरणो में जांच के बाद झूठे पाए जाने पर संबंधित परिवादी के खिलाफ न्यायालय में इस्तगासा पेश करने के लिए एसपी चूनाराम जाट ने निर्देशित किया। इसके तहत पोक्सो के तीन मामले झूठे पाए जाने पर परिवादी के खिलाफ पोक्सो एक्ट की धारा 22 के तहत न्यायालय में इस्तगासा पेश कर दिया है। जिसे मंजूर कर लिया गया है। अब सुनवाई के बाद झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाले परिवादी पर कार्रवाई हो सकेगी।

केस-1 : थानाधिकारी करण सिंह ने बताया कि 31 दिसम्बर2021 को ईदगाह कॉलोनी वैशालीनगर निवासी आसिया खातून पत्नि महफूज अंसारी अपनी नाबालिग पुत्री के साथ छेडछाड करने का आरोप लगाते हुए गुलाम सरवर उर्फ गड्डू के खिलाफ धारा आईपीसी की धारा 354, 506 व पोक्सो एक्ट की धारा 7-8के तहत दर्ज करवाया। जिसमें अनुसंधान के बाद मामला झूठा पाया गया। ऐसे में पोक्सो एक्ट की विशिष्ट न्यायालय संख्या 2 में अंतिम प्रतिवेदन झूठ के तहत पेश किया जिसे न्यायालय ले स्वीकार कर लिया।

केस-2 : थानाधिकारी करण सिंह ने कहा कि 6 अक्टूबर 2022 को क्रिश्चयनगंज निवासी दिगम्बर सिंह ने अपनी नाबालिग पुत्री के साथ गलत काम करने का आरोप जड़ते हुए मुकेश काठात के खिलाफ आईपीसी की धारा 363,376 (2) (एन), 376 (3) व पोक्सो एक्ट की 5 (एल) / 6 पोक्सो एक्ट में दर्ज करवाया। जिसका अनुंसधान करने पर मामला झूठा पाया गया। ऐसे में पोक्सो एक्ट की विशिष्ट न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसे विशिष्ट न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया।

केस-3 : थानाधिकारी करण सिंह ने बताया कि 8 फरवरी 2023 को गणेश गुवाड़ी निवासी टीना राजावत अपनी नाबालिग पुत्री के साथ छेडछाड करने का आरोप जड़ते हुए दिलीप लक्षकार के खिलाफ आईपीसी की धारा 354ए, 506 व पोक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। जिसमें भी पुलिस ने गंभीरता से जांच की तो मामला झूठा पाया गया। मामले में पोक्सो एक्ट के विशिष्ट न्यायालय संख्या 2 में अन्तिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

छह माह तक की सजा का है प्रावधान

थानाधिकारी करण सिंह ने बताया कि उक्त तीनों मामलों में एफआर पेश करने के बाद न्यायालय में झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाले परिवादियों के खिलाफ पोक्सो एक्ट की धारा 22 के तहत माननीय न्यायालय के समक्ष इस्तगासा लगाया गया। जिसकी सुनवाई विशिष्ट न्यायाधीश करेंगे। इस मामले में 6 माह तक कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

(नवीन वैष्णव)

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