किसानों को चंबल का पानी नहीं तो वोट नहीं...ERCP को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने को आंदोलन की तैयारी
अलवर जिले के अलावड़ा ग्राम पंचायत भवन पर आज चढूंनी किसान यूनियन के नेतृत्व में किसान सभा का आयोजन किया गया। जिसमें किसान सभा की अध्यक्षता सरपंच जुम्मा खान ने की। इसमें किसानों ने पूर्वी नहर परियोजना यानी ERCP को राष्ट्रीय नहर परियोजना में शामिल करने और अलवर जयसमंद में आने वाले चंबल नदी के पानी को रूपारेल नदी में डालने की मांग उठाई।
ERCP को लेकर किसानों ने अपने अपने तर्क और सुझाव दिए। पूर्व सरपंच कमल चंद ने कहा कि चंबल नदी के पानी ईआरसीपी योजना को लागू कर रुपारेल नदी और घाट कैनाल में छोड़ किसानों को मिले। इसके लिए चढूनी किसान यूनियन पिछले कई वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चढूनी किसान यूनियन गांव गांव में किसान यूनियन बनाकर आगामी 24 फ़रवरी को आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
आंदोलन की हो रही है तैयारी
बैठक में तिलवाड,गुजरपुर,बरवाडा,सिरमोर,इंदपुर,,मालपुर,चिडवाई, मिलकपुर,चौमा,ललावण्डी सहित अनेक गांवों के जागरूक किसान शामिल हुए। विशाल मीटिंग को संबोधित करते हुए चढूनी किसान यूनियन के प्रवक्ता विरेन्दर मोर ने कहा कि साल 2017 में राजस्थान दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईआरसीपी योजना को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने की घोषणा की थी। जिसके अंतर्गत चंबल नदी का पानी राजस्थान के 13 जिलों को मिलना था। लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बदल जाने और केंद्र में भाजपा की सरकार बन जाने के कारण केंद्र सरकार ने इस योजना को राजस्थान में आज तक लागू नहीं किया।
किसानों को मिलेगा लाभ
उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 90% राशि केंद्र सरकार वहन करती और 10% राशि राज्य सरकार वहन करना था। केंद्र और राज्य सरकार की लड़ाई में राजस्थान के 13 जिलों के किसान सिंचाई के लिए पानी से वंचित है और भूमिगत जलस्तर प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है और ईआरसीपी योजना के अंतर्गत अलवर जिले के केवल जयसमंद बांध और औद्योगिक इकाइयों को शामिल किया गया है। जिससे अलवर के किसानों को सिंचाई के लिए आप भी भूमिगत सिंचाई पर आश्रित रहना पड़ेगा और एक दिन ऐसा आएगा कि भूमि में ही जल समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि तब क्षेत्र के लोगों को ना सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और ना ही पीने के लिए पानी मिलेगा। हमारी मांग है कि ईआरसीपी योजना को लागू कर चंबल नदी का पानी अलवर जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाए और चम्बल के पानी को जयसमंद बांध के साथ साथ रूपारेल नदी और घाट कैनाल बांध में छोड़ा जाए। जिससे कि क्षेत्र के हजारों किसानों को लाभ मिले।
जब तक पानी नहीं तब तक वोट नहीं
मीटिंग में बैठे सभी किसानों ने एक आवाज से नारा लगाया और कहा किसानों के लिए पानी नहीं तो आने वाले चुनाव में सरकार को वोट नहीं। जो भी पार्टी किसानों की मांग का समर्थन नहीं करेगी उसका विरोध करेंगे। मीटिंग को रिटायर्ड मास्टर गुरुबचन सिंह,जसमेर सिंह,किसान सम्राट से सम्मानित तिलवाड गांव के किसान सोहनलाल,चिड़वाई ग्राम पंचायत सरपंच सुरेश वर्मा,बरवाडा के दीपसिंह ने संबोधित किया।