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मत्स्य विभाग में चल रहा था 20% कमीशन का खेल…निदेशक की गिरफ्तारी के बाद सामने आई ‘छूट में लूट’

प्रदेशभर के तालाबों से मछली पकड़ने के टेंडर व लाइसेंस जारी करने की एवज में मत्स्य विभाग के अफसर टेंडर की राशि का 20 फीसदी तक कमीशन घूस में लेते थे।
01:46 PM Jan 23, 2024 IST | Anil Prajapat
Premsukh Bishnoi

Premsukh Bishnoi Bribery case : जयपुर। प्रदेशभर के तालाबों से मछली पकड़ने के टेंडर व लाइसेंस जारी करने की एवज में मत्स्य विभाग के अफसर टेंडर की राशि का 20 फीसदी तक कमीशन घूस में लेते थे। यही नहीं, जब ठेकेदार तालाब में मछलियों के मरने पर राशि कम करने की बात करते थे और निदेशक प्रेमसुख बिश्नोई अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बुलाकर ठेकेदारों को सहायक निदेशक राकेश देव से मिलवा कर उनको डिस्काउंट देने और लाइसेंस जारी करने के निर्देश देते थे।

हाल ही में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा की मत्स्य विभाग के निदेशक प्रेमसुख बिश्नोई और सहायक निदेशक राकेश देव के खिलाफ की गई कार्रवाई की जांच में सामने आया है। एसीबी ने दोनों आरोपियों को 19 जनवरी को 35 हजार रुपए की घूस लेते पकड़ उनके खिलाफ जांच शुरू की है। दरअसल, एसीबी ने तीन दिन पहले मत्स्य विभाग के निदेशक प्रेमसुख व सहायक निदेशक राकेश देव को 35 हजार रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया था।

पहले मांगे 50 हजार रुपए, फिर दिया डिस्काउंट

एसीबी की जांच में सामने आया कि आरोपी राकेश देव पीड़ित से 1 लाख रुपए की घूस की डिमांड कर रहा था। जब पीड़ित ने उसे कहा- तालाब में पानी कम हो रहा और मछली मर रही है। इतनी राशि नहीं दे सकता तो आरोपी राके श देव निदेशक प्मसुख से रे मिलकर आए और परिवादी को कहा- साहब को और मुझे 50 हजार रुपए देने पड़ेंगे। फिर परिवादी ने राकेश देव से कहा- मैं इतनी राशि देने सक्षम नहीं हूं।

मुझे एक बार साहब से मिला दो। इसके बाद राकेश देव ने निदेशक से बात करके परिवादी को उसके पास भेज दिया। परिवादी के आग्रह पर निदेशक ने सहायक निदेशक को डिस्काउंट देकर लाइसेंस जारी करने के निर्देश दिए। तब राकेश देव ने 31 हजार रुपए में साैदा तय किया और 2-5 हजार रुपए ज्यादा लाने के लिए कहा था।

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डेढ़ माह में 17 बार लगाए विभाग के चक्कर

पड़ताल में सामने आया कि खो-नागोरियान निवासी रफीक के भतीजे को टोंक स्थित अन्नपूर्णा डूंगरी तालाब में मछली पकड़ने का टेंडर मिला था। 23 नवंबर को रफीक ने टेंडर व लाइसेंस शुल्क जमा करा दिया था। लाइसेंस लेने के लिए रफीक ने निदेशक व सहायक निदेशक के पास 16 जनवरी तक 17 बार चक्कर लगाए, लेकिन अफसरों ने लाइसेंस जारी नहीं किया।

जब पीड़ित को कई दिनों तक लाइसेंस नहीं मिला तो उसने ऑफिस में एक कर्मचारी से संपर्क किया। उस कर्मचारी ने फिर लाइसेंस के लिए सहायक निदेशक राकेश देव से मिलाया था। तब राकेश देव ने कहा- साहब तालाब पर गाड़ी भेजे देंगे तो दिक्कत आ जाएगी, एक लाख रुपए लगेंगे लाइसेंस जारी करने के लिए।

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