बांसवाड़ा, भीलवाड़ा के बाद अब दौसा की बारी...क्या 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में बिजी हैं मोदी ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 12 फरवरी को दौसा दौरे पर आ रहे हैं। यहां वे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करेंगे। मोदी के इस कार्यक्रम में भारी संख्या में जनता के आने की उम्मीद है। लेकिन प्रधानमंत्री का कोई भी कार्यक्रम सिर्फ कार्यक्रम मात्र नहीं होता, इसमें जनता के लिए कोई न कोई राजनीतिक संदेश जरूर छिपा रहता है। इस बार मोदी राजस्थान के दौसा आ रहे हैं और इनकी सभा भी बांदीकुई के गुर्जर बहुल इलाके धनावड़ में है। इससे पहले मोदी का जो कार्यक्रम तय हुआ था वह मीणा हाईकोर्ट में हुआ था लेकिन यहां से कार्यक्रम रद्द हुआ और धनावड़ में तय हो गया। अब यहां पर भी सिय़ासी और जातीय समीकरण निकाले जा रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह भाजपा की साल 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी है।
गुर्जर-मीणाओं का है सारा गणित
दरअसल प्रधानमंत्री की सभा जिस धनावड़ क्षेत्र में हो रही है। वह जगह गुर्जर बहुल है। यहां पर 50 प्रतिशत से ज्यादा गुर्जर हैं, जबकि मीना हाईकोर्ट वाली जगह पर मीणाओं की संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा है। यहां पर किरोड़ी लाल मीणा ने बेहद उत्साह के साथ इस दौरे की तैयारी की थी, उन्होंने घर-घर जाकर पीले चावल तक बांटकर लोगों को न्यौता दे रहे थे, लेकिन जब मोदी का दौरा मीणा हाइकोर्ट से हटकर धनावड़ में आ गई तो किरोड़ी ने इसका ठीकरा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पर फोड़ दिया था। इस बात पर बीते दिनों सियासी गलियारे में काफी बवाल तक हो गया था। किरोड़ी मीणा ने यह तक आरोप लगा दिए थे कि सतीश पूनिया, गुलाब चंद कटारिया ने मिलकर मीणा हाईकोर्ट में मोदी का दौरा रद्द करवाया है। ताकि इस दौरे की सफलता का क्रेडिट मुझे नहीं मिले। सतीश पूनिया पेपर लीक मामले में ढंग से आंदोलन तक नहीं कर पाए तो अब ये मोदी के दौरे रद्द कराएंगे।
ये है विधानसभा की सूरत
बता दें कि दौसा में 5 विधानसभा सीटें हैं। दौसा, बांदीकुई, महुआ, सिकराय, लालसोट। इनमें से दौसा सीट कांग्रेस के पास है, यहां से मुरारीलाल मीणा विधायक हैं, महुआ से आईएनडी से ओम प्रकाश हुड़ला जीते थे। सिकराय की सीट भी कांग्रेस के पास है, ममता भूपेश यहां से विधायक हैं। लालसोट सीट भी कांग्रेस के खाते में हैं। यहां से परसादी लाल मीणा विधायक हैं। बांदीकुई से कांग्रेस, जीआर खटाना विधायक हैं। यानी दौसा की 5 में से एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है, हम कह सकते हैं कि यहां पर मीणाओं के साथ कांग्रेस का भी दबदबा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के लिए दौसा में संजीवनी का काम कर सकते हैं।
मीणाओं से किनारा कर रही है भाजपा ?
मीणा हाइकोर्ट वाले क्षेत्र में मोदी का दौरा रद्द होने पर कई सियासी गणित लगाए जा रहे हैं कि भाजपा मीणाओं से किनारा कर रही है। भाजपा का फोकस उसके छिटक चुके मूल गुर्जर वोटर है, यही वजह है कि मोदी के भीलवाड़ा दौरे में भी उन्होंने गुर्जरों को साधा था, अब दौसा में भी वे गुर्जरों को साधेंगे, हालांकि एक बात यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में सिर्फ गुर्जर ही नहीं बड़ी संख्या में मीणा भी आएंगे। क्योंकि जिस तरह से किरोड़ी लाल मीणा हर रोज गांव के गांव जाकर घर-घर संपर्क कर लोगों को पीले चावल बांटकर मोदी के कार्यक्रम में आने का न्यौता दे रहे हैं। सिर्फ एक दिन में ही 40-40 गांवों का दौरा कर रहे हैं और दौसा में होने जा रही मोदी की रैली को सफल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
छिटके हुए गुर्जर वोटर्स को समेट रही है बीजेपी?
यह तो सर्वविदित है कि राजस्थान जैसे प्रदेश में चुनाव राजपूत-ब्राह्मण, गुर्जर मीणा के नाम पर होता है। जाहिर है आने वाला चुनाव भी गुर्जर मीणा चुनाव की एक और बानगी होगा। बता दें कि जब मोदी भीलवाड़ा आए थे। तो उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए साफ कह दिया था कि गुर्जरों की आस्था के प्रतीक भगवान देवनारायण की उत्पत्ति कमल से हुई थी और भाजपा तो पैदा ही कमल से हुई है, इसलिए आपका और हमारा पुराना नाता है। मोदी के इस बयान से ये तो साफ है कि भाजपा को इस समय़ गुर्जर वोटर की कितनी जरूरत है।
वसुंधरा राजे सरकार में हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान मारे गए गुर्जरों के बाद से पार्टी का यह मूल वोटर छिटक गया है। इसलिए इसे साधने की कोशिश में भाजपा लगी हुई है क्योंकि विधानसभा चुनाव 2023 पास ही है। इधर मीणाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले किरोड़ी लाल मीणा के समर्थन में मीणा समुदाय रहता है। पूरे राजस्थान के वोटर्स में मीणाओं की हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत रहती है। तो गुर्जरों का वोट भी लगभग 6 प्रतिशत ही है, ऐसे में गुर्जरों के साथ ही मीणा भी भाजपा के लिए उतने ही अहम माने जाते हैं।