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पायलट चले सिंधिया की राह…छोड़ सकते हैं कांग्रेस का हाथ!

तीन साल पहले राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए गए सचिन पायलट भी लगता है ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
07:31 AM Apr 10, 2023 IST | Anil Prajapat
पायलट चले सिंधिया की राह…छोड़ सकते हैं कांग्रेस का हाथ

Sachin Pilot : जयपुर। तीन साल पहले राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए गए सचिन पायलट भी लगता है ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं। रविवार को सचिन ने जिस तरह कांग्रेस आलाकमान व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर टारगेट किया, उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि वह अब कांग्रेस छोड़ने का मूड बना चुके हैं। उनकी कोशिश है कि पार्टी उन्हें निकाल दे, ताकि वे सहानुभूति पा सकें। वे आगे क्या कदम उठाने जा रहे हैं, अभी साफ नहीं है, लेकिन चर्चा यही है कि वे कहीं जाएंगे जरूर। एक चर्चा यह भी है कि वे सिंधिया के रास्ते पर हैं। सिंधिया ने भी पार्टी छोड़ने से पहले सीएम कमलनाथ के खिलाफ बात की थी, फिर बीजेपी में शामिल हो गए थे।

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सचिन बीजेपी में जाएंगे या बेनीवाल की राय पर चलेंगे या फिर आप में जाते हैं। उनकी प्रेस वार्ता से दो बातें निकली हैं। एक तो यह कि उन्होंने पिछले महीने के केजरीवाल के भाषण वाली भाषा बोली। केजरीवाल का आरोप था कि भ्रष्टाचार के मामले में गहलोत व राजे मिले हुए हैं। सचिन बोले, हमने मुद्दा उठाया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, जबकि आलाकमान को भी बताया था। वहीं, सचिन ने आरोप लगाने का जो वक्त चुना, वह सुनियोजित दिखता है।

3 साल पहले बगावत

तीन साल पहले सचिन ने डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों के साथ मिल अपनी सरकार गिराने की कोशिश की थी। जिसके चलते उन्हें अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर और उप मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था। गहलोत की सजगता से ऑपरेशन लोटस असफल हो गया था। उस समय बागी विधायकों को दस-दस करोड़ रुपए देने की बात भी सामने आई थी।

शहीद स्मारक पर कल अनशन का ऐलान

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर कांग्रेस द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं करने पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सीएम गहलोत और कांग्रेस आलाकमान को निशाने पर लिया है। मामले को लेकर 11 अप्रैल को सचिन पायलट जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन के अनशन पर बठें गे। पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने विपक्ष में रहते पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते मैंने स्वयं और मुख्यमंत्री गहलोत ने भी शराब माफिया व बजरी माफिया पर बयान दिए। अब विपक्ष के लोग भाजपा और कांग्रेस पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। इस संबंध में 28 मार्च 2022 और 2 नवंबर 2022 को सीएम को चिट्ठी भी लिखी। साथ ही, चुनाव फिर से जीतने के लिए आलाकमान को भी इस मामले में कार्रवाई करने का सुझाव दिया था।

CM गहलोत को मिला आलाकमान का साथ

कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुल कर साथ दे लंबे समय से राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान को खत्म कर सचिन पायलट को कड़ा संदेश दे दिया। आलाकमान के इस कदम के बाद पायलट पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। आलाकमान ने यह कदम रविवार को उस समय उठाया जब सचिन पायलट ने जयपुर में संवाददाता सम्लन कर अपनी में सरकार के मुख्यमंत्री गहलोत और आलाकमान पर सवाल खड़े किए। सचिन के इस रुख से साफ हो गया था कि वह विपक्ष के हाथों में खेल रहे हैं। इसके बाद पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने बयान जारी कर सीधा संदेश दे दिया कि आलाकमान गहलोत के साथ खड़ा है। जयराम रमेश ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने ऐसी कई योजनाओं को लागू किया है और कई ऐसी पहल की हैं, जिन्होंने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है। इसने राज्य को हमारे देश में शासन में नेतृत्व की स्थिति प्रदान की है। राजस्थान में पार्टी संगठन के समर्पण और दृढ़ संकल्प से ही राज्य में भारत जोड़ो यात्रा जबरदस्त रूप से सफल हुई थी। इस वर्ष के अंत में कांग्रेस इन ऐतिहासिक उपलब्धियों और हमारे संगठन के सामूहिक प्रयासों के दम पर लोगों के बीच जाकर फिर से सेवा करने के लिए जनादेश मांगेगी।

राहुल की मुहिम कमजोर करने का खेल

उनके उठाए मुद्दे से राहुल गांधी की मुहिम को कमजोर करना माना जा रहा है। राहुल गांधी कुछ समय से अडानी के 20 हजार करोड़ के घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। कांग्रेस संसद से लेकर सड़क तक मोदी सरकार को घेरे हुए है। सरकार पर विपक्ष के आंदोलन से खासा दबाव भी है। पिछले कुछ दिनों से कोशिश की भी जा रही है राहुल का आंदोलन कमजोर हो। पहले पूर्व कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने अपनी किताब के नाम पर राहुल पर निशाना साधा, फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल को घेरने की कोशिश की। इसके बाद एनसीपी नेता शरद पंवार का बयान और अब सचिन पायलट। इन नेताओं के बयानों को राहुल की मुहिम पर असर डालने की कोशिश ही माना जा रहा है।

आलाकमान नाराज, रंधावा की दो-टूक

सचिन की रविवार की पीसी से आलाकमान खासा नाराज बताया जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में स्वास्थ्य के अधिकार का कानून बनने से आलाकमान खासा उत्साहित था। सभी प्रमुख नेताओं ने एक दो दिन पहले ही सरकार की पीठ थपथपाई थी। गहलोत के फैसलों और योजनाओं से राजस्थान में सरकार वापसी के पूरे आसार बने हुए हैं। ऐसे में सचिन की सियासत एक तरह से कांग्रेस के खिलाफ षड्यंत्र मानी जा रही है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि सचिन ने कभी भी उनको नहीं बताया कि उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पत्र लिखे हैं। उन्हें पहले मुझे बताना चाहिए था। दो दिन बाद जयपुर पहुंचूंगा तब पता लगाऊंगा कि क्या स्थिति है। बाकी कुछ नही बोलूंगा।

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