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सूख रहा जनता का गला...प्रशासन के हलक तक नहीं पंहुची पानी की किल्लत... झकझोर कर रख देंगी बूंद-बूंद के लिए तरसते लोगों की ये तस्वीरें

11:41 AM May 03, 2023 IST | Jyoti sharma

देश के कई हिस्सों में गर्मियां शुरू होते हैं पानी की किल्लत मुंह बाये लोगों के सामने खड़ी है। हर साल सूखे की मार झेलते उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान के कई इलाके भीषण गर्मी में पानी की एक-एक बूंद को तरस जाते हैं। इस साल मौसम विज्ञानियों ने प्रचंड गर्मी की भविष्यवाणी की है लेकिन इस तरह की गर्मी शुरू होने से पहले ही देश के कई क्षेत्रों में पानी को लेकर भयानक त्रासदी की तस्वीर सामने आ रही हैं।

नासिक के आदिवासी गांव की है तस्वीर

इसकी ताजा तस्वीर महाराष्ट्र के नासिक के आदिवासी गांव बोरधापाड़ा से आई है। जहां पर बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी लोग अपने गांव से 2-2 किलोमीटर दूर तक पैदल एक एक बूंद पानी के लिए भीषण गर्मी और धूप में अपनी जान जोखिम में डालकर जा रहे हैं।

इस पूरे गांव में सिर्फ दो ही कुएं हैं लेकिन वो पूरी तरह सूख चुके हैं। पानी की जगह उनमें कचरा भरा हुआ है। गांव से दूर सिर्फ एक ही कुआं है जो 2 किलोमीटर दूर है। 

पानी की किल्लत से इस कदर लोग परेशान हैं कि सुबह शुरू होते ही घर की महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हाथों में और सिर पर पानी के बर्तन लिए जंगल के रास्ते नंगे पैर चिलचिलाती धूप में जाते हैं और फिर पानी भर कर यहां वापस आते हैं।

कई महिलाओं का कहना है कि पूरा दिन ही हमारा पानी लाने में ही बीत जाता है। कई को तो पैरों में छाले तक पड़ गए हैं, गिरकर घायल भी हो गए हैं। हमारा तो ठीक है लेकिन हमारे बच्चे भी इसमें परेशान हो रहे हैं।

पानी के लिए जद्दोजहद कर रही महिलाओं का कहना है कि कुंआ गांव से 2 किलोमीटर दूर होने से हमारे लिए एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। हम प्रशासन से जल्द से जल्द यहां पर पानी के इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

महिलाओं का कहना है कि सिर्फ वह एक कुआं है जो इस समय हमारी जान बचा रहा है। प्रचंड गर्मी में तो वह भी सूख जाएगा, तब हम क्या करेंगे? यहां तो एक-एक बूंद के लिए लोग मारे जाएंगे। 

महाराष्ट्र के इन इलाकों में पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं है। सालों से महाराष्ट्र के मराठवाड़ा समेत कई इलाके सूखे और अकाल से जूझते हैं। पानी के लिए यहां पर कोई स्थाई समाधान अभी तक नहीं किया जा सका है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पानी को लेकर संवेदनशील इलाकों में सिर्फ अभी 35% पानी ही बचा हुआ है वह भी यहां के बांधों में। यहां के कई कुंए, बावड़ी तो सूखे पड़े हैं। भीषण गर्मी में तो यहां पर पानी के लिए बेहद मारामारी मचती है। यहां पर प्रशासन को पानी के टैंकर भिजवाने पड़ते हैं। जो इतनी बड़ी जनसंख्या पर भी पूर्ति नहीं कर पाता। ऐसे में इन इलाकों में पानी के स्थाई समाधान करना समय की बेहद जरूरी मांग है लेकिन इस ओर शासन या प्रशासन का कोई ध्यान ही नहीं जा रहा है।

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