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जयपुर नॉर्थ और टोंक के लोग करते हैं सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण…थानों में दर्ज प्रकरणों की पड़ताल में हुआ खुलासा

राजस्थान में लोगों की शांति को भंग करने में अजमेर और जयपुर कमिश्नरेट के उत्तर जिले के लोग सबसे ज्यादा है। टोंक और जयपुर नॉर्थ में सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है।
09:48 AM Jan 18, 2024 IST | Anil Prajapat
जयपुर नॉर्थ और टोंक के लोग करते हैं सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण…थानों में दर्ज प्रकरणों की पड़ताल में हुआ खुलासा
Noise pollution in Rajasthan

जयपुर। राजस्थान में लोगों की शांति को भंग करने में अजमेर और जयपुर कमिश्नरेट के उत्तर जिले के लोग सबसे ज्यादा है। टोंक और जयपुर नॉर्थ में सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है। हालांकि वर्ष 2023 में राज्य में 15.82 फीसदी ध्वनि प्रदूषण घटा है।

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यह हकीकत प्रदेश के पुलिस थानों में दर्ज हुए मामलों की पड़ताल में सामने आई है। पुलिस ने गत वर्ष ध्वनि प्रदूषण करने पर 8 हजार 442 मामले दर्ज करके आठ हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण करने पर कार्रवाई की है, जबकि वर्ष 2022 में पुलिस ने 10 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए थे।

थानों में दर्ज मामलों की पड़ताल में सामने आया कि सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण के मामले प्रदेश में टोंक में 881 आए हैं। इसके बाद जयपुर नॉर्थ में 611, झालावाड़ में 500, भीलवाड़ा में 338, अजमेर में 267, जयपुर पूर्व में 263 और जयपुर पश्चिम में 260 आए है।

लोगों ने तेज आवाज में लाउड स्पीकर, डीजे व हॉर्न बजाकर लोगों की शांति को भंग करने के लिए ध्वनि प्रदूषण किया है। बांसवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा 184 फीसदी ध्वनि प्रदूषण के मामले बढ़े हैं, जबकि कोटा शहर में पिछले साल के मुकाबले 80 फीसदी ज्यादा और राजसमंद में 70 फीसदी ध्वनि प्रदूषण के मामले हैं।

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इन जिलों में सबसे कम ध्वनि प्रदूषण

पड़ताल में सामने आया कि प्रदेश में सबसे कम ध्वनि प्रदषूण जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जालोर, कोटा शहर और गंगानगर में रहने वाले लोग करते हैं। हालांकि कोटा शहर में साल 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में ध्वनि प्रदषूण के मामले बढ़े हैं। जोधपुर ग्रामीण में सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदषूण के 70 फीसदी मामले घटे हैं। इसके बाद में करौली में 57 फीसदी, जालोर में 55 फीसदी, हनुमानगढ़ में 45 फीसदी, चित्तौड़गढ़ में 41 फीसदी और चूरू में 40 फीसदी ध्वनि प्रदषूण के मामले घटे हैं।

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पांच साल की सजा का है प्रावधान

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 को ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण)नियमावली 2000 के नियम 5/6 में संज्ञेय और गैर जमानतीय अपराध माना है। इस अपराध को करने पर पांच वर्ष तक की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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