उज्जैन के इस मंदिर में लाेग रोगों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए जलाते हैं दीपक
Dharmraj Chitragupta Temple: उज्जैन को देवों के देव महादेव की नगरी कहा जाता है। यहां कई ऐसे अनोखे मंदिर है जो हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। लोग अक्सर बेतहर जीवन, स्वास्थ और आर्थिक तंगी दूर करने की मनोकामना करने के लिए भगवान के मंदिर में जाते हैं, लेकिन उज्जैन में एक ऐसा मंदिर भी हैं जहां लोग मृत्यु के लिए दीपक जलाने जाते हैं। यहां लोग मोक्ष की कामना करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में उनकी प्रार्थना कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है।
अनोखा है उज्जैन का धर्मराज चित्रगुप्त मंदिर
उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे रामघाट पर स्थित धर्मराज चित्रगुप्त मंदिर अनोखा है। पंडितों के मुताबिक, यहां पर दर्शन करने मात्र से कष्ट, पाप और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और अग्नि पुराण में किया गया है। इस मंदिर के ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है जिसकी वजह से इसका खासा महत्व है। यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। यहां श्रद्धालु रोगों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में पूजा करने से अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति मिलती है।
यह खबर भी पढ़ें:-‘राम लला’ के बाद अब होगी ‘शिव’ की प्राण प्रतिष्ठा, 25 साल में बनकर तैयार हुआ है ये ‘ॐ’ आकार का मंदिर
48 घंटे में मिलता है मोक्ष
पंडितों के मुताबिक, इस मंदिर में शारीरिक कष्टों से परेशान जिंदगी और मौत के बीच जूझने वाले व्यक्तियों की रक्षा या मोक्ष की प्राप्ति के लिए खास पूजा करवाई जाती है। मंदिर में पूजा करने 48 घंटों के अंदनर रिजल्ट देखने को मिल जाते हैं। यहां पूजा करने से स्वास्थ लाभ मिलता है।
मृत्यु के लिए जलाते हैं दीपक
धर्मराज और चित्रगुप्त का ये अनोखा मंदिर अपनी मान्यता के चलते काफी प्रचलित है। कहते हैं कि शारीरिक कष्टों के चलते जिंदगी और मौत से जूझने वाले लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और यहां रक्षा और मोक्ष की कामना के लिए पूजा करते हैं। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी लाइलाज है, तो इस मंदिर में आकर अगर वह व्यक्ति अपने मोक्ष के लिए घी का दीपक जलाता है, तो कुछ समय में ही उसको मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और उन सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
यह खबर भी पढ़ें:-राम जी बुला रहे हैं…जब आधी रात जागकर पर काम पर लग जाते थे मूर्तिकार योगीराज