Paper Leak Case : देश में पहली बार RPSC सदस्य को हटाने की प्रक्रिया शुरू, राष्ट्रपति के पास बर्खास्तगी का अधिकार
Paper Leak Case : जयपुर। लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं में सरकार की तरफ की जाने वाली नियुक्ति भले ही राजनीतिक अप्रोच और जातिगत हिसाब से बड़ी आसानी से कर दी जाती हो, लेकिन आयोग के अध्यक्ष से लेकर सदस्य तक को हटाने के लिए सरकार को बेहद लंबी संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसी प्रक्रिया के कारण वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में एसओजी के हत्थे चढ़े राजस्थान लोकसेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को हटाने के लिए सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है।
यह है प्रक्रिया
मामले में अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निर्देश के बाद कटारा की फाइल सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले राज्य सरकार की अनुशंषा और प्रकरण की जांच करने के बाद राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही कटारा को लेकर कोई आगे एक्शन लिया जा सके गा। कटारा को अक्टूबर-2020 में आयोग का सदस्य बनाया गया था। उनका कार्यकाल छह साल का है, जो सितंबर-2026 में पूरा होना है।
देश में ऐसा यह पहला मामला
देश में पहली बार किसी लोकसेवा आयोग के सदस्य को हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई है। राज्य सरकार ने कटारा को पद से हटाने के लिए अनुशंषा करके फाइल राष्ट्रपति भवन भेज दी है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल के हस्ताक्षर से होती है। जबकि संविधान में ऐसी नियुक्ति को रद्द करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही है।
तुरंत निलंबित करने का था विकल्प
कटारा को 15 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। राज्य सरकार के पास कटारा को निलंबित करने का भी विकल्प मौजूद था। यह प्रक्रिया कम समय की थी। सरकार सुप्रीम कोर्ट को मामला भेज कर राज्यपाल कलराज मिश्र के पास कटारा को निलंबित करने की सिफारिश भेज सकती थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले में सख्त कार्रवाई के पक्ष में हैं। बताते हैं मुख्यमंत्री के स्तर पर ही कटारा की बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय किया गया है। ऐसे में बर्खास्तगी को लेकर फाइल सीधे राष्ट्रपति मुर्मू के पास भेजी गई है।
यह है संवैधानिक प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 317 के अनुसार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को के वल कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के ऐसे आदेश से उसके पद से हटाया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रपति की तरफ से निर्देश दिए जाने पर उस न्यायालय की तरफ से अनुच्छेद 145 के अधीन प्रक्रिया के अनुसार की गई जांच के बाद दोषी पाए जाने के बाद उसे हटाने के लिए संस्तुत किया गया हो।
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