Paper Leak Case : SOG के बाद अब ED की एंट्री, मास्टरमाइंड कटारा सहित RPSC चेयरमैन व सचिव को नोटिस जारी
Paper Leak Case : जयपुर। आरपीएससी से पेपर लीक मामले की जांच के लिए अब ईडी की एंट्री हो गई है। पेपर लीक मामले में एसओजी के बाद अब ईडी की टीम कार्रवाई करेगी। आरपीएससी के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। साथ ही अब ईडी ने पेपर लीक के मास्टरमांइड बाबूलाल कटारा सहित आरपीएससी चेयरमैन संजय श्रोत्रिय और सचिव हरजीलाल अटल को नोटिस भेजा है। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर का 60 लाख रुपए में सौदा करने वाला अभी जेल में बंद है। पेपर लीक मामले में अब तक सभी मुख्य आरोपी पकड़े जा चुके है। लेकिन, मास्टरमाइंड सुरेश ढाका अभी फरार है।
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने के बाद अब मास्टरमांइड बाबूलाल कटारा सहित आरपीएससी चेयरमैन संजय श्रोत्रिय और सचिव हरजीलाल अटल को नोटिस जारी किया है। ईडी पेपर लीक के लिए हुए मनी ट्रांजेक्शन की पड़ताल करेगी। इसमें कई खुलासे होने की संभावना है। पड़ताल का वरिष्ठ अध्यापक पेपर लीक के साथ अन्य पेपर लीक तक जाने का अनुमान है। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के लिए 24 दिसंबर को परीक्षा हुई थी। परीक्षा से पहले ही उदयपुर पुलिस ने पेपर लीक मामले का खुलासा करते हुए 55 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया था। ये सभी बस से पेपर देने जा रहे थे।
सबसे पहले सारण और ढाका का नाम आया था सामने
इस मामले में भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका का नाम सामने आया था। आखिरकार कई महीनों की तलाश के बाद एसओजी ने सरगना भूपेन्द्र सारण बैंगलूरू में दबोच लिया। सारण ने पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण ने शेरसिंह से पेपर खरीदा था। इस पर एसओजी की टीम ने पहले शेरसिंह की गर्लफ्रेंड को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ के बाद पता चला कि आरोपी शेरसिंह ओडिशा में छिपा हुआ है। पुलिस ने आरोपी शेरसिंह को ओडिशा से गिरफ्तार किया। जहां पर वह राजस्थानी मजदूर बनकर फरार काट रहा था। शेरसिंह के खुलासे के बाद जांच की आंच आरपीएससी तक पहुंच गई। इसके बाद एसओजी की टीम ने आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया।
कटारा ने 60 लाख में शेरसिंह को बेचा था पेपर
बाबूलाल कटारा ने परीक्षा से 2-3 सप्ताह पहले ही शेरसिंह मीणा को 60 लाख रुपए में पेपर बेच दिया था। आरपीएससी सदस्य बाबूलाल के पास पेपर सेट की जिम्मेदारी दी थी। कटारा ने प्रिंटिंग प्रेस में भेजने से पहले पेपर की कॉपी अपने पास रख ली थी और फिर अजमेर स्थित अपने घर पर शेरसिंह को पेपर दे दिया। आरोपी शेरसिंह ने एक करोड़ रुपए में भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका को पेपर बेचा था। इसके बाद दोनों आरोपियों ने अभ्यर्थियों को 5-5 लाख रुपए में पेपर बेचा था। लेकिन, परीक्षा से पहले ही उदयपुर पुलिस ने पेपर लीक मामले का खुलासा करते हुए 55 अभ्यर्थियों दबोच लिया था। इसके बाद एक-एक कर सभी आरोपी एसओजी के हत्थे चढ़ गए। लेकिन, सुरेश ढाका अभी भी एसओजी की गिरफ्त से दूर है। जिसकी एसओजी की टीम लगातार तलाश में जुटी हुई है।
करोड़ों का मालिक निकला कटारा
गिरफ्तारी के बाद बाबूलाल कटारा के घर की तलाशी के दौरान एसओजी को 50 लाख से ज्यादा की नकदी और लाखों के जेवर मिले हैं इसके अलावा कटारा के घर से करोड़ों रुपए की जायदाद के कागज भी मिले हैं। कुछ सालों पहले तक बाबूलाल कटारा का परिवार एक सामान्य गरीब सा परिवार था। लेकिन पिछले कुछ सालों में कटारा ने करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली। ऐसे में साफ माना जा रहा है कि बड़े घोटाले करके ही कटारा ने करोडों रुपये की संपत्ति अर्जित की है। उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा सहित कई पॉश इलाकों में बाबूलाल कटारा की जमीनें है। बताया जा रहा है कि उदयपुर के सेक्टर-14 सीए सर्किल के पास पॉश एरिये में कटारा का एक मकान है। डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीछे सुभाष नगर में दो मंजिला मकान और अस्पताल रोड पर तीन मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी है।
कभी तृतीय श्रेणी शिक्षक था कटारा
डूंगरपुर जिले की भाटपुर ग्राम पंचायत के मालपुर गांव का रहने वाला बाबूलाल कटारा 2 नवंबर 1987 को तृतीय श्रेणी शिक्षक बना था। करीब 2 साल बाद 1990 में वह अर्थशास्त्र के व्याख्याता बन गया था। साल 1991 में बाबूलाल कटारा जिला सांख्यिकी अधिकारी बन गया था। उसने जिला सांख्यिकी अधिकारी डूंगरपुर और बाड़मेर में काम किया था। 1994 से 2005 तक भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सागवाडा, सुमेरपुर और उदयपुर में काम किया। वर्ष 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक रहा। वह उदयपुर में आदिम जाति शोध संस्थान निदेशक के पद पर भी रहा। इसके बाद आरपीएससी के मेंबर के रूप में सरकार ने नियुक्ति दी। कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में आरपीएससी के मेंबर का कार्यभार संभाला था। लेकिन, अब पेपर लीक मामले में जेल की हवा खा रहा है।