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ताड़ प्रजाति का होता है यह वृक्ष, दवाइयां बनाने में भी किया जाता है इसका इस्तेमाल 

10:00 AM Jan 08, 2023 IST | Supriya Sarkaar
ताड़ प्रजाति का होता है यह वृक्ष  दवाइयां बनाने में भी किया जाता है इसका इस्तेमाल 

खजूर का वृक्ष भारत में पाया जाने वाला एक खास पेड़ है। ग्रामीण क्षेत्रों में खजूर के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। गीले खजूर का उपयोग पिंड खजूर बनाने के लिए किया जाता है। खजूर के पेड़ से निकलने वाले गोंद को ‘हुकुमचिल’ कहते हैं। इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियां नरम होती है, जिन्हें गाछी कहा जाता है। सूखी पत्तियों से तरकारी बनाई जाती है। इसके फूलों से गुलाब व केवड़े की तरह अर्क निकाला जाता है। इसका फल पुष्टिकारक, वृक्ष वातपित्तनाशक, रूचिकर और अग्निवर्धक माना जाता है। खजूर का वृक्ष 15 से 25 मीटर तक ऊंचा होता है।

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रेतीले मैदानों में होती है खेती 

खजूर की खेती गरम देशों, तटीय क्षेत्रों और रेतीले मैदानों में की जाती है। समुद्र किनारे लंबे-लंबे खजूर के पेड़ पाए जाते हैं। इनकी ऊंचाई पर कबीर जी ने एक दोहा भी लिखा है। जिसमें लिखा है- बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर। पंछी को छायां नहीं, फल लागे अति दूर।। इस दोहे से इस बात का साफ पता चलता है कि खजूर के पेड़ बहुत ऊंचे होते हैं। इसकी पत्तियां लंबी, पतली और नुकीली होती हैं। सूखने के बाद इसे सूखे मेवे के रूप में काम में लिया जाता है। खजूर ताड़ प्रजाति का वृक्ष है। ताड़ के अन्य वृक्षों की तरह यह वृक्ष भी पाल्मे कुल का है। इसकी कई प्रजातियां होती हैं, जिनमें मुख्यरूप से जंगली तथा देशी दो प्रजातियां है। जंगली खजूर को सेंधी व खरक भी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई कम होती है। यह सबसे अधिक गुजरात, करमंडल, पश्चिम बंगाल तथा बिहार राज्यों में पाया जाता है।

वैज्ञानिक नाम

खजूर का वैज्ञानिक नाम फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा है। इसका ‘फीनिक्स’ शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है। अलग-अलग भाषाओं में इसके कई नाम है। हिंदी भाषा में इसे सेंधी, सलमा, ख़जी और खजूर कहते हैं। बांग्ला में इसे खेजुर कहा जाता है। जबकि तमिलनाडू के निवासी इसे इत्चम-पन्नई तथा टेंचू नाम से पुकारते हैं। तेलुगु में इसका नाम पीडिता है। यह एक प्रकार का खाद्य फल है जिसकी खेती प्राचीन समय से की जाती रही है। इसकी मूल खेती उत्तरी अफ्रीका की जाती है। इस फल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। फल के पकने तक वृक्ष में लगातार पानी देने की आवश्यकता होती है। पकने के बाद फल का रंग पीला और अंत में लाल हो जाता है। लाल होने के बाद इन फलों को छुहारा कहते हैं।

खजूर में मौजूद तत्व

खजूर के अंदर कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक, फास्फोरस, प्रोटीन, विटामिन ए, फैटी एसिड्स, डायटरी फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन-बी6 और विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

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