For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

SMS के डॉक्टर एक बार फिर साबित हुए देवदूत, डेढ़ साल के बच्चे की हाईरिस्क लेवल सर्जरी कर बचाई जान

जिस बच्चे के दिल के छेद की सर्जरी करने से देश के नामी अस्पतालों ने मना कर दिया था उसकी हाईरिस्क सर्जरी का कारनामा एसएमएस के सीटीवीएस विभाग के सर्जन्स ने कर दिखाया।
09:34 AM Apr 25, 2023 IST | Anil Prajapat
sms के डॉक्टर एक बार फिर साबित हुए देवदूत  डेढ़ साल के बच्चे की हाईरिस्क लेवल सर्जरी कर बचाई जान

SMS Hospital : जयपुर। एसएमएस के चिकित्सक एक बार फिर देवदूत बन गए हैं। जिस बच्चे के दिल के छेद की सर्जरी करने से देश के नामी अस्पतालों ने मना कर दिया था उसकी हाईरिस्क सर्जरी का कारनामा एसएमएस के सीटीवीएस विभाग के सर्जन्स ने कर दिखाया। सर्जरी के बाद बच्चा ना सिर्फ स्वस्थ्य है, बल्कि चिकित्सकों का कहना है कि अब यह सामान्य जीवनयापन कर सकेगा। विभाग की एसो.प्रोफेसर डॉ.हेमलता वर्मा ने बताया कि डेढ़ साल के तनिश के दिल में छेद की बीमारी के साथ ही वह डाउन ईसेनमेंजर सिंड्रोम से भी ग्रसित था।

Advertisement

एसएमएस में ऐसे कई बच्चों की सर्जरी की जाती है, लेकिन यह बहुत अलग थी। इस बच्चे की सर्जरी की जो 3 से 6 माह की उम्र होती है, वह निकल चुकी थी और इसे ईसेनमेंजर सिंड्रोम होने के कारण एक साल की उम्र के बाद ऐसे बच्चे के दिल के छेद को बंद करने का कोई भी सर्जन चांस नहीं लेता है। हमें एक से दो प्रतिशत उम्मीद दिखी। बच्चे के माता-पिता की स्वीकृति से हमने हाई रिस्क लेते हुए इस जटिल सर्जरी को कर दिखाया। एसएमएस में इस तरह की यह पहली सर्जरी है।

ये खबर भी पढ़ें:-नहीं मिला 16 करोड़ का इंजेक्शन… तनिष्क हार गया ‘जिंदगी की जंग’

संभव नहीं था ऑपरेशन

डॉक्टर्स ने जांचों को देखने के बाद परिजनों का मना कर दिया था कि सर्जरी संभव नहीं है, क्योंकि सभी जांच मरीज की सर्जरी में पक्ष में नहीं थी। एक दो संकेत ऐसे दिखाई दिए, जिसमें सर्जरी की संभावना लगी। उन्हें ही डॉक्टर्स ने भांपते हुए ऑपरेशन करने का निर्णय लिया और सफल सर्जरी की। अब 6 दिन के बाद मरीज को सोमवार को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। चिकित्सकों का कहना है कि अगर हम भी ऑपरेशन से मना कर देते तो इस बच्चे के साथ अन्याय होता और इसकी जिदं गी बहुत छोटी रह जाती। इस प्रयास में सर्जन डॉ. अनुला, डॉ. शैफाली, डॉ. अंशुल, डॉ. सतवीर सहित अन्य के सहयोग से यह सफल सर्जरी हुई।

ये खबर भी पढ़ें:-तेज गर्मी से मिली राहत, 40 डिग्री के नीचे रहा पारा, कल से एक्टिव होगा नया विक्षोभ

ब्लड हार्ट से फेफड़ों की तरफ जा रहा था

ईसेनमेंजर सिंड्रोम के कारण दिल के छेद से ब्लड हार्ट से फेफड़ों की तरफ जा रहा था। इसलिए सबने इस सर्जरी को मना कर दिया। सामान्यतः दिल में छेद होने से रक्त दिल से फे फड़ों की तरफ बहने लगता है, जिससे फेफड़ों का लेकर प्रेशर बहुत हाई हो जाता है। यदि समय पर ऑपरेशन नहीं किया जाए तो लंग्स पर प्रेशर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि गंदा खून उल्टी धारा में बहते हुए दिल से पूरे शरीर मे बहने लग जाता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लग जाती है। इस स्थिति में यदि इस छेद को बंद कर किया जाए तो मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम होती है। डाउन सिंड्रोम में यह स्थिति बहुत जल्दी आ जाती है। मरीज तनिश भी इसी स्थिति से गुजर रहा था। सभी जगहों से नाउम्मीद होने के बाद इसके परिजन एसएमएस में आए जहां डा. हेमलता वर्मा की देखरेख में इलाज किया गया।

ये खबर भी पढ़ें:-सैनी आरक्षण आंदोलन का 5वां दिन: आरक्षण ना मिलने से आहत युवक ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट भी मिला

.