For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Sawan 2023: शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से होती है सारी मनोकामनाएं पूर्ण, यहां रात में खुद आते हैं शिव-पार्वती

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से 80 किलोमीटर दूर स्थित है। यह नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग को ऊं का आकार है।
11:09 AM Jul 07, 2023 IST | BHUP SINGH
sawan 2023  शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से होती है सारी मनोकामनाएं पूर्ण  यहां रात में खुद आते हैं शिव पार्वती

सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव के लिए विशेष महत्व रखता है। इस मास में भक्तगण शिव-पार्वती की पूजा करते हैं और उनके ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर निकलते हैं। भारत में बहुत सारे मंदिर हैं जहां शिव के ज्योतिर्लिंगों की पूजा की जाती है, और इनमें से एक है 'ओंकारेश्वर'। ओंकारेश्वर शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग है और यहां रोज रात को शिव-पार्वती आते हैं। इस लेख में हम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Advertisement

यह खबर भी पढ़ें:-Fasting Tips: सावन में व्रत रखने के दौरान याद रखें 6 बातें, बनी रहेगी एनर्जी, नहीं होगी थकान

ओंकारेश्वर - महादेव का निवास

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से 80 किलोमीटर दूर स्थित है। यह नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग को ऊं का आकार है और यहां भगवान महादेव ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं। लोग मानते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव और पार्वती रात में सोने के लिए ओंकारेश्वर आते हैं। रात्रि के समय यहां शिव आदिशक्ति माता पार्वती के साथ चौपड़ खेलते हैं। इसलिए शाम की आरती के बाद ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया जाता है। और जब अगले दिन सुबह गर्भगृह खोला जाता है, तो चौपड़ बिखरा हुआ मिलता है। यहां आने वाले भक्तों को मान्यता के अनुसार उनके सभी कष्ट दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए लोग दर्शन के लिए दूर-दूर से इस मंदिर का भ्रमण करते हैं।

ओंकारेश्वर से जुड़ी धार्मिक कथा

कहा जाता है कि एक समय राधा मधांता ने बहुत ही गहरी तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव के दर्शन प्राप्त कर सकें। उन्होंने ब्रह्माजी की उपासना की और आपकी कृपा से महादेव ने उन्हें अपने समीप बुलाया। महादेव ने उनसे पूछा कि वे किस चीज की इच्छा रखती हैं। राधा मधांता ने कहा कि उन्हें चाहिए कि वे जब भी कहीं जाएं तो महादेव का आवास वहीं होना चाहिए और उनका नाम भी उनके नाम के साथ जुड़ा रहे। महादेव ने इस बात को मान लिया और अपना आवास ओंकारेश्वर मंदिर में ही रख दिया। इसलिए यह जगह मधांता के नाम से भी जानी जाती है।

ओंकारेश्वर मंदिर की महिमा

ओंकारेश्वर मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां शिव भक्तों का भ्रमण होता है। इस मंदिर में भक्त शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर के पास बस्ती नामक गांव है जहां आपको शिव की कथाएं और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती हैं।

यह खबर भी पढ़ें:-Sawan 2023: सावन में भोलेनाथ को करें प्रसन्न, ये 4 भयंकर दुर्योग भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे

प्रमुख आरती और मेले

ओंकारेश्वर मंदिर में रोज आरती का आयोजन होता है। भक्तगण शाम की आरती में भाग लेते हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करते हैं। यहां पर्यटकों के आगमन के समय विभिन्न त्योहार और मेले आयोजित होते हैं जहां आप लोक-गीत, नृत्य, और परंपरागत खाद्य पदार्थों का आनंद ले सकते हैं। यहां विभिन्न धार्मिक उत्सवों पर भी आयोजन होते हैं जिनमें भक्तगण भाग लेते हैं और अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।

नर्मदा नदी में करना चाहिए स्नान

ओंकारेश्वर मंदिर में जाकर आप अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और शिव के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। यहां पहुंचने के बाद आपको ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद नर्मदा नदी या किसी अन्य नदी के जल से अपने आप को स्नान करना चाहिए, जिससे आपके दर्शन पूर्ण माने जाएंगे।

.