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विधायिका को मजाक समझ बैठे अफसर, 10 रिमाइंडर भी बेअसर, स्पीकर के सामने कल पेश होंगे अफसर 

09:03 AM Feb 07, 2023 IST | Supriya Sarkaar
विधायिका को मजाक समझ बैठे अफसर  10 रिमाइंडर भी बेअसर  स्पीकर के सामने कल पेश होंगे अफसर 

जयपुर। विधानसभा में विधायकों की तरफ से सवालों और विभिन्न प्रस्तावों व नियमों में उठाए गए मामलों को लेकर अफसरशाही के लापरवाही भरे रवैये से नाराज विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को सरकार के सभी आलाधिकारियों को तलब किया है। इसके लिए जारी पत्र में सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव सहित अन्य उन सभी अधिकारियों को तलब किया है जो विधानसभा संबंधी मामलों से ताल्लुक रखते हैं।

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विधानसभा सचिव की तरफ से अध्यक्ष का हवाला देते हुए मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में नाराजगी भी जताई गई है। पत्र में कहा गया है कि विधानसभा से दस-दस बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद भी चाही गई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। सभी अफसरों को विधानसभा मामलों संबंधी पेंडेंसी का रिकाॅर्ड भी साथ लेकर आने का कहा गया है।

अफसरों में मचा हड़कंप 

अध्यक्ष के इस रुख से अफसरों के बीच हडकंप मचा हुआ है, क्योंकि स्पीकर जोशी विधानसभा की अवमानना संबंधी मामलों को लेकर बेहद सख्त रवैया अपनाते हैं। जोशी ने विधानसभा में विधायकों की तरफ से उठाए जाने वाले मामलों का दायरा भी तय कर ज्यादा से ज्यादा चर्चा करवाने पर फोकस किया है। एक विधायक को एक सत्र में 100 सवाल पूछने की ही इजाजत है।

प्रत्येक विधायक चालीस तारांकित और साठ अतारांकित प्रश्न सदन में लगा सकते हैं। सवाल में जानकारी का दायरा भी बेहद कम किया गया है, जिससे सरकार की तरफ से सवालों के जवाब समय पर मिल सके। इसके बावजूद अफसरों की तरफ से मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। विधानसभा की समितियां अफसरों की अनदेखी की शिकायत स्पीकर से लगातार कर रही हैं।

पहले सत्र के भी सवालों के जवाब अभी तक आने हैं बाकी 

15 वीं विधानसभा के गठन के बाद पहले ही सत्र में लगाए गए 24 सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं। सबसे ज्यादा सवालों के जवाब दूसरे, छठे और सातवें सत्र के हैं। सातवें सत्र के 1646 सवालों के जवाब आने बाकी है।

प्रस्तावों को लेकर भी गंभीर नहीं 

सवाल के अलावा विधायकों की तरफ से विभिन्न नियमों के तहत ध्यानाकर्षण और स्थगन प्रस्तावों के माध्यम से मामले उठाए जाते हैं। इनके जवाब देने की समय सीमा तय है। ध्यानाकर्षण में सरकार को तीन दिन में जवाब देना होता है। सात सत्रों के 450 प्रस्ताव सरकार के पास जवाब के लिए पेंडिंग है।

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