ACB के विवादित फरमान पर अब चिकित्सा मंत्री ने उठाए सवाल, बोले-भ्रष्टाचार में लिप्त लोग होने चाहिए बेनकाब
जयपुर। राजस्थान में भ्रष्टाचारियों के फोटो और नाम नहीं उजागर करने वाले एसीबी डीजी के आदेश पर सियासत गरमाई हुई है। खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बाद अब चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने एसीबी डीजी के आदेश पर सवाल उठाए है। मंत्री मीणा ने शुक्रवार को मीडिया से मुखाबित होते हुए साफ कहा कि एसीबी के डीजी ने जो आदेश निकाला, वो गलत है। जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कह चुके है कि इस आदेश की समीक्षा कराई जाएगी, यदि आदेश में किसी भी तरह की गलती है तो उसे वापस कराया जाएगा। वहीं, बीजेपी ने 23 दिसबंर से शुरु होने वाले विधानसभा सत्र में भी इस मुद्दे को उठाने का ऐलान किया है। ऐसे में यह तो साफ है कि गहलोत सरकार जल्द ही एसीबी डीजी के आदेश के समीक्षा करेगी। मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द ही इस मुद्दे पर समीक्षा करेंगे और अगर कुछ गलत हुआ तो इस आदेश को वापस लिया जाएगा।
खाद्य मंत्री ने भी उठाए थे सवाल
इससे पहले एसीबी के आदेश पर खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सवाल उठाते हुए कहा था कि डीजी ने एसीबी का चार्ज लेते ही जो आदेश निकाले हैं, वो रद्द होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि मैं ही नहीं, कांग्रेस का कोई भी विधायक और मंत्री इस तरह के आदेश का समर्थन नहीं करेगा। सरकार इस तरह के आदेश के साथ नहीं है, यह बिल्कुल गलत है। हम कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे हमारे पूरे किए हुए काम पर पानी फिर जाएं।
सीएम गहलोत बोले-एसीबी के आदेश का करेंगे रिव्यू
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने उदयपुर दौरे के दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए एसीबी डीजी के आदेश से यू-टर्न लेने के संकेत दिए थे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जयपुर जाने के बाद वो एसीबी डीजे के आदेश को लेकर समीक्षा बैठक करेंगे। अगर कुछ गलत हुआ तो आदेश को वापस किया जाएगा।
ये है एसीबी डीजी का विवादित फरमान
आईपीएस हेमंत प्रियदर्शी को एसीबी डीजी का अतिरिक्त चार्ज संभालते ही आदेश दिया था कि अब रिश्वत मामले में पकड़े गए लोगों के फोटो और वीडियो सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। एसीबी डीजी के आदेश के अनुसार अब रिश्वत के मामले में पकड़े जाने वाले आरोपी के फोटो और वीडियो को सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा, जब तक उन पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाए।