अब वकीलों से की मारपीट तो मिलेगी 7 साल की सजा, विधानसभा में राइट-टू-हेल्थ पर भी लगी मुहर
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में दो महत्वपूर्ण कानून बनाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने वकीलों को सुरक्षा देने के बनाए जाने वाले नए कानून का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया है। सरकार ने वकील संगठनों के साथ हुए समझौते में 15 मार्च को यह विधेयक विधानसभा में रखने और 21 मार्च को पारित करने का वादा किया था। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के आम नागरिकों को राइट-टू-हेल्थ (Right-to-Health) देने के बिल पर विधानसभा की सलेक्ट कमेटी ने मुहर लगा दी है। अधिवक्ता संरक्षण विधेयक (Advocate Protection Bill) को विधि मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में रखा। इसका वकीलों की तरफ से स्वागत किया गया है।
वकीलों की सुरक्षा के लिए पेश किए गए बिल में सुरक्षा और सजा दोनों के प्रावधान रखे गए हैं। बिल में प्रावधान है कि यदि वकील की तरफ से विशेष परिस्थितियों में सुरक्षा की मांग की जाती है तो पुलिस को उपलब्ध करवानी होगी। वहीं, वकील के कोर्ट परिसर में रहने के दौरान या उसके कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कोई हमला करता है तो उसके लिए 7 साल तक की सजा और पचास हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में वकील को धमकी देने की स्थिति में दो साल तक कैद का प्रावधान किया गया है। इसी तरह अधिवक्ता की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या आग लगाने का कोई अपराध करता है तो उस स्थिति में दोषी व्यक्ति को सात साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।
अधिवक्ता के खिलाफ मिली शिकायत का निस्तारण 7 दिन में करना जरूरी
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अधिवक्ता को लेकर उसका मुवक्किल या विरोधी मुवक्किल की तरफ से पुलिस में शिकायत दी जाती है तो उसकी जांच सात दिन में पूरी की जाएगी। साथ ही ऐसे मामले की जांच उप-अधीक्षक से नीचे की रैंक का नहीं होगा।
राइट टू हेल्थ बिल के विरोध पर दो फाड़
राइट टू हेल्थ (Right-to-Health) बिल को लेकर निजी संगठन आमने-सामने हो गए हैं। बिल के विरोध में प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम सोसाइटी ने ऐलान किया है कि गुरुवार को प्रदेशभर में अस्पताल बंद रहेंगे। जॉइंट एक्शन कमेटी ने इस बंद को समर्थन देने से इनकार कर दिया है। कमेटी मीडिया प्रभारी डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि चेयरमैन सुनील चुग की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में निर्णय लिया गया कि कमेटी की मांगों को मानते हुए सरकार ने बिल की सभी विसंगतियों को दूर किया गया है। ऐसे में बंद बुलाने का कोई औचित्य नहीं है।