'गज, अश्व और गरुड़ द्वार…' नए संसद भवन के 6 खूबसूरत गेट, हर गेट का है अपना पौराणिक महत्व
नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। पांच दिन के इस सत्र के दूसरे दिन मंगलवार से संसद नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया है। आज गणेश चतुर्थी भी है। गणेश चतुर्थी के मौके पर आज से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में आयोजित की जाएगी।
देश के लोकतंत्र के लिए नया संसद ऐतिहासिक होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की एक प्रति लेकर पुराने भवन से नए भवन तक पैदल चलकर आएंगे। उनके पीछे राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसद पैदल चलते हुए नई संसद में प्रवेश करेंगे। नए संसद भवन में कई द्वार बनाए गए हैं। इन प्रतीकों का पौराणिक महत्व क्या है? आइए इसके बारे में जानते है।
देश के हर व्यक्ति के लिए संसद शब्द का नाम सुनते ही गोलाकार बिल्डिंग की छवि बन जाती है। आजादी के कई घटनाएं इसी भवन में घटी थीं, लेकिन अब इस छवि को संसद की नई बिल्डिंग में बदल दिया जाएगा।
970 करोड़ और 29 महीने में बनी नई संसद बिल्डिंग…
10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन के ठीक सामने नए भवन की आधारशिला रखी। करीब 29 महीने लगातार इसका निमार्ण कार्य चला, तक जाकर नई संसद बनकर तैयार हुई। नए संसद भवन को बनाने में 973 करोड़ रुपए खर्च हुए। नया संसद भवन पूरी तरह से हाईटेक है।
सुविधाओं से लेकर आधुनिकता तक नया संसद भवन कई मायनों में खास है। पुरानी संसद भवन की इमारत गोल है, लेकिन नए भवन के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने जगह का पूरा इस्तेमाल करने के लिए इसे ट्राएंगुलट शेप दिया है। वहीं संसद के पुराने भवन में भारतीय संस्कृति से जुड़ी प्रतिमा या प्रतीक नहीं है, जो इसे सुशोभित करता हो, लेकिन संसद की नई इमारत में यह बदल गया है। नए संसद भवन के भव्य प्रवेश द्वारों पर नजर डालने पर भारत का सांस्कृतिक इतिहास पूरी तरह दिखाई देता है। नए संसद भवन के आंतरिक भाग को तीन राष्ट्रीय प्रतीकों में बांटा गया है। कमल, मोर और बरगद का पेड़।
नए संसद भवन के बीचो-बीच कान्स्टिट्यूशन हॉल…
नए संसद भवन के बीचो-बीच कान्स्टिट्यूशन हॉल है। जहां ऊपर अशेक स्तंभ लगा हुआ है। कान्स्टिट्यूशन हॉल के एक तरफ लोकसभा और उसका सेरेमोनियल एंट्रेंस है। वहीं कान्स्टिट्यूशन हॉल के दूसरी तरफ राज्यसभा और उसका सेरेमोनियल एंट्रेंस है। कान्स्टिट्यूशन हॉल के तीसरी तरफ सेंट्रल लाउंज है, जहां ओपेन स्पेश भी है।
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नए संसद में छह द्वार…
नए संसद में छह द्वार बनाए गए हैं। इसमें गज द्वार, गरुड़ द्वार, अश्व द्वार, मकर द्वार, हंस द्वार और शार्दुला द्वार। इन सभी का नाम वास्तविक और पौराणिक प्राणियों के नाम पर रखा गया है। दरअसल, नए संसद भवन में सभी छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जीवों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां लगी हैं। भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया गया है।
नए संसद भवन का गज द्वार…
नए संसद भवन के उत्तर की ओर एंट्रेंस द्वार की सुरक्षा के लिए एक गज यानी हाथी की मूर्ति स्थापित की गई है। यह जीव बुद्धि, धन और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ ही यह द्वार निर्वाचित लोगों की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है।
गरुड़ द्वार…
नए संसद भवन के पूर्वी प्रवेश द्वार पर गरुड़ की मूर्ति को स्थापित किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। गरुड़ भगवान विष्णु की सवारी है। वो शक्ति और धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। गरुड़ इस बात का प्रतीक है कि संसद लोगों की शक्ति है और जो लोग अंदर हैं वे अपने धर्म का पालन करेंगे।
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अश्व द्वार…
हमारी संस्कृति संस्कृत भाषा से प्रेरित है। इसके बारे में ऋग्वेद में भी जिक्र है। नए संसद भवन में एक द्वार अश्व भी है। घोड़े को संस्कृत शब्द में अश्व कहा जाता है। भारतीय संस्कृति और इतिहास में घोड़ा को शक्ति, ताकत और साहस का प्रतीक माना जाता है। शक्ति, ताकत और साहस वे गुण हैं जो भारत की संसद और इसकी मजबूत लोकतांत्रिक जड़ों से जुड़े हैं।
मकर द्वार…
नए संसद में छह द्वारों में से एक मकर द्वार भी है। मकर द्वार पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 की ओर है। मकर द्वार गेट का नाम पौराणिक समुद्री जीव के नाम पर रखा गया है। यह आधा स्तनपायी और आधी मछली होता है। यह जीव रक्षकों से जुड़ा हुआ है और अकसर हिंदू, बौद्ध स्मारकों में देखा जाता है।
हम्सा द्वार…
हम्सा यानी हंस, ये मां सरस्वती की सवारी है। प्रवेश द्वार पर हंस आत्म-बोध और ज्ञान का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। प्रवेश द्वार पर हंस इस बात का प्रतीक है कि संसद में ज्ञान सर्वोपरि होगा, ज्ञान न केवल पारंपरिक अर्थ में बल्कि देश को आगे ले जाने के लिए ज्ञान का भी अर्थ है।
शार्दुला द्वार…
शार्दुला एक पौराणिक प्राणी है, जिसका शरीर शेर का लेकिन सिर घोड़ा, हाथी या तोते का होता है। इसे सबसे शक्तिशाली और जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है। सरकार के मुताबिक, गेट पर यह जीव देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है।
नया संसद भवन हॉल हाई क्वालिटी से लैस है। संसद के नए भवन में कदम रखते हुए संस्कृति और टेक्नोलॉजी के मिश्रण के प्रतीक दिखाई देते हैं। यह दिखाते हैं कि आधुनिक प्रगति को ऐतिहासिक संस्कृति के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ा जा सकता है। प्रवेश द्वार पर बायोमेट्रिक्स के साथ-साथ रेटिना स्कैन भी किया जाएगा, जोकि विश्व स्तरीय सुरक्षा सिस्टम है। वहीं नए संसद भवन में एडवांस तकनीक के सिक्योरिटी सिस्टम लगाए गए हैं, जिनमें चेहरे की पहचान करने वाला सॉफ्टवेयर, सीसीटीवी कैमरे और विजिटर्स के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं।
ऐसा है नया संसद भवन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। 28 मई 2023 को इसका उद्घाटन हुआ। 29 महीने में नया संसद भवन बनकर तैयार हुआ है। संसद भवन को त्रिकोणीय आकार में तैयार किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा स्पेस को इस्तेमाल में लाया जा सके। ये 64,500 वर्गमीटर में बना हुआ है। इसे बनाने में करीब 1200 करोड़ रुपए की लागत आई है।
पुराने संसद भवन में लोकसभा में 545 और राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की जगह है। जबकि, नए भवन में लोकसभा चैम्बर में 888 सांसद बैठ सकते हैं। संयुक्त संसद सत्र की स्थिति में 1,272 सांसद बैठ सकेंगे। जबकि, राज्यसभा चैम्बर में 384 सांसद आसानी से बैठ सकते हैं। नई संसद में लोकसभा चैंबर को राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्यसभा चैंबर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार कराया गया है।