National Sports Day : जादूगर के इशारे पर नाचती थी हॉकी, हिटलर ही नहीं ब्रैडमैन भी थे उनके कायल
National Sports Day : नई दिल्ली। हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। इस दिन हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद का जन्मदिन होता है। इस साल मेजर ध्यान चंद की 118वीं जयंती है। ऐसा कहा जाता है जादूगर के इशारे पर हॉकी नाचती थे, इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है। ध्यानचंद ने जर्मन तानाशाह हिटलर ही नहीं बल्कि महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन को भी अपना क़ायल बना दिया था।
जब वे हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद इस तरह उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे वे किसी जादू की स्टिक से हॉकी खेल रहे हों। हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई। जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई। ध्यानचंद ने हॉकी में जो कीर्तिमान बनाए, उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है।
हिटलर चाहता था जर्मनी के लिए खेले ध्यानचंद
साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेल के दौरान भारत का 15 अगस्त को जर्मनी के साथ मुकाबला हुआ। भारतीय खिलाड़ी जमकर खेले और जर्मन की टीम को 8-1 से हरा दिया। तब उनकी कलाकारी से मोहित होकर जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर सरीखे जिद्दी सम्राट ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश कर दी थी। हालांकि, ध्यानचंद ने मना कर दिया था।
महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन भी थे ध्यानचंद के कायल
महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन भी ध्यानचंद के खेल के कायल थे। ब्रैडमैन हाकी के जादूगर से उम्र में तीन साल छोटे थे। अपने-अपने फन में माहिर ये दोनों खेल हस्तियां केवल एक बार एक-दूसरे से मिले थे। साल 1935 में जब भारतीय टीम आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर थी। तब भारतीय टीम एक मैच के लिए एडिलेड में थी और ब्रैडमैन भी वहां मैच खेलने के लिए आए थे। ब्रैडमैन और ध्यानचंद दोनों तब एक-दूसरे से मिले थे। ब्रैडमैन ने तब हॉकी के जादूगर का खेल देखने के बाद कहा था कि वे इस तरह से गोल करते हैं, जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं। यही नहीं ब्रैडमैन को बाद में जब पता चला कि ध्यानचंद ने इस दौरे में 48 मैच में कुल 201 गोल दागे तो उनकी टिप्पणी थी, यह किसी हॉकी खिलाड़ी ने बनाए या बल्लेबाज ने।
जानें-कैसे हॉकी खेलने लगे?
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले भारत के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म 29 अगस्त 1905 को वर्तमान प्रयागराज, यूपी में हुआ था। अपनी बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1922 में एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना की सेवा की। वह एक सच्चे खिलाड़ी थे और हॉकी खेलने के लिए सूबेदार मेजर तिवारी से प्रेरित थे। ध्यानचंद ने उन्हीं की देखरेख में हॉकी खेलना शुरू किया। हॉकी में उनके उत्कृ ष्ट प्रदर्शन के कारण, उन्हें 1927 में ‘लांस नायक’ के रूप में नियुक्त किया गया और 1932 में नायक और 1936 में सूबेदार के रूप में पदोन्नत किया गया।
इसी वर्ष उन्होंने भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी की। वह लेफ्टिनेंट, फिर कैप्टन बने और आखिर में मेजर के रूप में पदोन्नत किए गए। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाए। उन्होंने 1936 के बर्लिन ओलंपिक फाइनल में जर्मनी पर भारत की 8-1 की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसमें वह 3 गोल के साथ टॉप स्कोरर भी बने थे। वह 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में 14 गोल करने वाले खिलाड़ी भी थे।
करियर में लगभग 1,000 गोल
मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए, जबकि अपने पूरे करियर में लगभग 1,000 गोल किए। ऐसे महान खिलाड़ी को श्रद्धांजलि देने के लिए, भारत सरकार ने 2012 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इस मान्यता से पहले, उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
हॉकी में भारतीय टीम रही है बेहद सफल
भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक के इतिहास की सबसे सफल टीमों में से एक है। इस टीम ने आठ गोल्ड, एक सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। इस टीम ने साल 1928 से 1956 तक अपना स्वर्णिम दौर देखा, जब उन्होंने लगातार 6 गोल्ड मेडल जीते। भारत ने दुनिया को कुछ बेहतरीन फील्ड हॉकी खिलाड़ी भी दिए हैं, जिनमें हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर और धनराज पिल्लै शामिल हैं। बलबीर सिंह के नेतृत्व में भारत ने 1952 के हेलसिंकी खेलों में अपना पांचवां ओलंपिक हॉकी गोल्ड मेडल जीता। बलबीर सिंह के नेतृत्व में, भारत ने 1952 के हेलसिंकी खेलों में अपना पांचवां ओलंपिक हॉकी गोल्ड मेडल जीता।