पीठासीन अधिकारियों का राष्ट्रीय सम्मेलन आज से, उपराष्ट्रपति धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पहुंचे जयपुर
जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का बुधवार को सवेरे साढ़े दस बजे राजस्थान विधानसभा में उद्घाटन करेंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे। स्वागत उद्बोधन विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी देंगे। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया सहित देशभर से आए पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में मौजूद रहेंगे।
डाॅ. जोशी ने जयपुर पहुंचने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का दुपट्टा पहनाकर अभिवादन किया। इससें पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का भी मंगलवार को जयपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने स्वागत किया। बिरला और हरिवंश 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को जयपुर पहुंचे। डॉ. जोशी ने दोनों को सम्मेलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
विधायिका-न्यायपालिका के संबंधों पर मंथन
स्पीकर बिरला ने बताया कि संविधान ने विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका का कार्य क्षेत्र और उनके अधिकार को परिभाषित किया है। सम्मेलन के दौरान एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप से बचते हुए आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने पर भी मंथन किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान देश के सभी विधानमंडलों को एक डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को आगे बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श होगा।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पूर्व में आयोजित सम्मेलनों में पारित किए गए संकल्पों की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी। इसमें विधानसभाओं में प्रक्रियाओं और नियमों में एकरूपता, बैठकों की संख्या तथा सदस्यों की उपस्थिति, समिति प्रणाली के सशक्तीकरण शामिल हैं।
स्थायी समिति की बैठक में सम्मेलन की कार्यसूची पर चर्चा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में मंगलवार शाम स्थायी समिति की बैठक में सम्मेलन की कार्यसूची को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में तय हुआ कि सम्मेलन के दौरान जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व तथा उसमें विधान मंडलों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा हो। संसद और विधानसभाओं को और अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने को लेकर भी सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के दौरान चर्चा होगी।
जनता की समस्याओं का समाधान तब ही हो सकता है जब विधायिका और कार्यपालिका आमजन के प्रति अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ कार्य करें। इसके लिए बदलते परिपेक्ष्य में विधानमंडल किस प्रकार प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं, इस पर भी विधानसभा और विधान मंडलों के अध्यक्ष संवाद करेंगे।