Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी को रखे व्रत, मिलेगी सभी पापों से मुक्ति, जानें पूजा से जुड़े सभी नियम
Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बाद मोक्ष एकादशी और गीता जयंती एक ही दिन पड़ रही है। कहते हैं कि मोक्ष एकादशी को व्रत रखने पर एक यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को यानी शुक्रवार को पड़ रही है। लेकिन इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत दो दिन किया जाएगा। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा, नियम और निष्ठा के साथ मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने, कथा सुनने और भगवान की पूजा करने पर मनुष्य को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के प्रारंभ होने से पूर्व अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था। इस कारण इस दिन भगवान विषणु, माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण के दामोदर स्वरूप का पूजन किया जाता है। इस दिन गीता आदि का पाठ करने पर बड़ा फायदा मिलता है। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विधि विधान से पूजा करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है।
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क्यों खास है मोक्षदा एकादशी?
कहते हैं मोक्षदा एकादशी को भगवान विष्णु मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा करने से पापों का नाश होता है साथ ही संतान प्राप्ति की कामना, धन की प्राप्ति की कामना या फिर विवाह की मनोकामना आदि पूर्ण होती हैं। भगवान हरि की असीम कृपा भक्तों पर बनी रहती है और मरणोपरांत वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। मोक्षदा के दिन भगवत गीता का पाठ करने से सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि मोक्षदा के दिन व्रत रखने से कई एकादशियों का फल मिलता है।
कैसे करें मोक्षादा एकादशी की पूजा?
मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से पहले द्वादशी तिथि के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए । मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले ही सात्विक भोजन ग्रहण करना शुरू कर देना चाहिए और मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी तिथि के दिन सुबह प्रात:काल उठकर गंगा नदी में या घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद साफ कपड़े धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर में जाकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण भगवान के दामोदर स्वरूप की विधि विधान से पूजा करें।
व्रत के दिन घर में गीता आदि का पाठ और कथा सुननी चाहिए। उसके बाद ओम वासुदेवाय नम: या श्री दामोदराया नम: इन मंत्रों का जप करना चाहिए। भगवान विष्णु को गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें और उन्हें पीले फल फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु को अक्षत नहीं चढ़ाया जाता है इसलिए उनका जल या पंचामक से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को गंगाजल चढ़ाएं। फिर काले तिल, तुलसी दल आदि अर्पित करें। उसके बाद उनकी दीप धूप से आरती करें। भगवान विष्णु को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए।
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