Earthquake: दिल्ली में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, इस महीने तीसरी बार हिली धरती
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। उत्तरी दिल्ली में शनिवार दोपहर 3 बजकर 36 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.6 मापी गई। भूकंप आने के बाद दिवाली की तैयारियों में जुटे लोगों में दहशत का माहौल हो गया और सभी लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए।
फिलहाल, कहीं से किसी प्रकार के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है। बता दें इस महीने में तीसरी बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इससे पहले छह नवंबर को भी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस हुए थे। नेशनल केन्द्र फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल रहा था और रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.6 मापी गई थी। हालांकि कहीं भी किसी प्रकार के जान माल का नुकसान नहीं हुआ था।
क्यों दिल्ली में बार-बार आ रहा हैं भूकंप…
बता दें कि बीते कुछ महीनों में दिल्ल-एनसीआर की धरती दिल्ली के भूकंप के तेज झटकों से कई बार हिल चुकी है। भूकंप के चलते लोगों में डर लगा रहता है कि दिल्ली में कहीं बड़ा भूकंप नहीं आ जाए। इसका अंदेशा लंबे समय से लगाया जा रहा है। भूकंप को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि दिल्ली में बड़ी तीव्रता का भूकंप आ सकता है, क्योंकि दिल्ली भूकंपीय क्षेत्रों के जोन 4 में स्थित है।
जानकारों के मुताबिक, देश को इस तरह के चार जोन में बांटा गया है। जोन-4 में होने की वजह से दिल्ली भूकंप का एक भी भारी झटका बर्दाश्त नहीं कर सकती। दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था। धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है।
क्यों आता है भूकंप…
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
जानें-भूंकप केंद्र और तीव्रता का मतलब…
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।