For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

अंतरिक्ष का खजाना : उल्कापिंड की धूल सोने से भी कीमती

वैज्ञानिकों ने हाल ही में एस्टेरॉयड बेन्नू की पहली झलक देखी है। वैज्ञानिकों को उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा अच्छा नमूना मिला है। हाल ही में उल्कापिंड बेन्नू का सैंपल एक कैप्सूल के जरिए धरती पर पहुंचा है।
10:01 AM Oct 06, 2023 IST | BHUP SINGH
अंतरिक्ष का खजाना   उल्कापिंड की धूल सोने से भी कीमती

वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एस्टेरॉयड बेन्नू की पहली झलक देखी है। वैज्ञानिकों को उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा अच्छा नमूना मिला है। हाल ही में उल्कापिंड बेन्नू का सैंपल एक कैप्सूल के जरिए धरती पर पहुंचा है। 26 सितंबर को वैज्ञानिकों ने जब नमूने वाला कनस्तर खोला तो भारी मात्रा में गहरे महीन दाने वाली सामग्री मिली। कनस्तर की दीवारों पर धूलभरे कण थे। मूल नमूने के विश्लेषण से पहले यह धूल जैसे कण महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं। अभी बड़े सैंपल वाले कनस्तर को नहीं खोला गया है। सैंपल भरा कैप्सूल 24 सितंबर को अमेरिका के यूटा रेगिस्तान में लैंड हुआ। नासा ने उल्कापिंड बेन्नू के लिए ओसाइरिस रेक्स मिशन चलाया था।

Advertisement

यह खबर भी पढ़ें:-ये कैसी मां की ममता….5 साल के बेटे का सिर काटकर खाया, इस डर से शरीर के किए कई टुकड़े

सैंपल निकालने को बनाया क्लीन रूम

मिशन टीम ने ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में पहुंचने के अगले दिन इस कै प्सूल को खोला। इसे खोलने के लिए एक क्लीन रूम बनाया गया था। एस्टेरॉयड ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़े अवशेष हैं। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि जब ग्रह बने तो शुरुआती दिनों में किस तरह थे। हालांकि, धरती के करीब का उल्कापिंड हमारे लिए खतरा भी पैदा करता है। इस तरह के उल्कापिंड भविष्य में पृथ्वी से टकरा सकते हैं। ऐसे में हमारे लिए इनका रास्ता बदलने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सैंपल से मिल सकती है।

यह खबर भी पढ़ें:-3,80,000 किमी से भेजी तस्वीरें, चांद पर दौड़ रहा चीन का रोवर यूतू-2

11 को देखेंगे असली सैंपल

अक्टूबर 2020 में जब यह अंतरिक्ष यान बेन्नू की सतह पर गया तो पत्थर उछल गए थे। अभी उल्कापिंड का वास्तविक नमूना सामने नहीं आया है। 11 अक्टूबर के बाद इस नमूने को अलग किया जाएगा, जिसके बाद दुनिया यह जान सकेगी कि आखिर यह कै सा दिखता है। ओसाइरिस रेक्स मिशन के नमूना विश्लेषण टीम की सदस्य लिंडसे केलर ने एक बयान में कहा, ‘हमारे पास सभी माइक्रोएनालिटिकल तकनीकें हैं, जिन्हें हम वास्तव में इसे परमाणु के स्तर तक देख सकते हैं।’

.