सतह पर मिले नमकीन ग्लेशियरों के प्रमाण, बुध ग्रह पर जगी जीवन की उम्मीद
वाशिंगटन। बुध ग्रह के बारे में एक नई रिसर्च सामने आई है। बुध की सतह के नीचे कुछ नमकीन ग्लेशियर मिले हैं। इसके बाद माना जा रहा है कि यहां जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं। ग्रह वैज्ञानिकों ने बुध के उत्तरी ध्रुव के पास नमकीन ग्लेशियरों की खोज की है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि इस ग्रह में जीवन के लिए सही परिस्थितियां हो सकती हैं। नमकीन ग्लेशियरों का मिलना इशारा करता है कि बुध ग्रह पर भी जीवन का स्वरूप संभव हो सकता है। हालांकि इंसान का रहना यहां मुमकिन हो सकता है, इस पर कुछ कहना बहुत जल्दीबाजी होगा।
बुध सूर्य के सबसे पास का ग्रह है और यहां जीवन को असंभव माना जाता रहा है, लेकिन नई रिसर्च में काफी अलग दावा किया गया है। दे प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुख्य अध्ययन लेखक एलेक्सिस रोड्रिग्ज ने इस रिसर्च पर कहा कि हमारी हाल के शोध दर्शाते हैं कि प्लूटो में नाइट्रोजन ग्लेशियर हैं। इसका अर्थ है कि हिमनद घटना हमारे सौर मंडल के भीतर सबसे गर्म से लेकर सबसे ठंडे तक फैली हुई है। सूर्य से निकटता के कारण बुध पर ग्लेशियरों का पाया जाना आश्चर्यजनक है।
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बुध ग्रह पृथ्वी की तुलना में सूरज से 2.5 गुना ज्यादा पास है। उस छोटी सी दूरी पर चीजें बहुत अधिक गर्म होती हैं। अध्ययन के सह-लेखक ब्रायन ट्रैविस के अनुसार, ये नमक प्रवाह एक अरब वर्षों से अधिक तक अपनी अस्थिरता को संरक्षित कर सकते हैं। हालांकि बुध का नमकीन भंडार विशिष्ट हिमखंडों या आर्कटिक ग्लेशियरों के अनुरूप नहीं है।
एस्टेरॉयड की वजह से चला पता
एरिजोना के ग्रह विज्ञान संस्थान में ग्रह वैज्ञानिक एलेक्सिस रोड्रि ग्ज कहते हैं कि बुध के रेडिटलाडी और एमिनेस्कु क्रेटर में पाए जाने वाले साल्टी ग्लेशियर उन विशिष्ट हिमखंडों की तरह नहीं हैं, जिनके बारे में हम पृथ्वी पर सोचते हैं। इसके बजाय वे नमक के प्रवाह हैं जो बुध की सतह के नीचे वाष्पशील यौगिकों को फंसा देते हैं। भूविज्ञान की दृष्टि से वाष्पशील पदार्थ वे रसायन हैं जो किसी ग्रह पर आसानी से वाष्पित हो जाते हैं- जैसे पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन। एस्रॉयड के टे प्रभाव से बुध के विचित्र नमक-खंडों का पता चला और वैज्ञानिकों ने इन्हें गड्ढों में खोज निकाला।
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