हाईकोर्ट पहुंची मेयर मुनेश गुर्जर, मुझे कानून से विपरीत और तथ्यों के परे किया गया निलंबित
जयपुर। नगर निगम हेरिटेज की निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर ने मंगलवार को अपने निलंबन आदेश को एक बार फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत और तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है। अब हाईकोर्ट मुनेश गुर्जर की याचिका पर 27 सितंबर को सुनवाई करेगा। स्वायत्त शासन विभाग ने 22 सितंबर को मुनेश गुर्जर को प्राथमिक जांच रिपोर्ट के बाद निलंबित कर दिया था। इससे पहले भी 5 अगस्त को सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित किया था।
पहले निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। स्वायत्त शासन विभाग ने अपने निलंबन आदेश में कहा है कि ट्रैप की कार्रवाई के बाद मामले में महापौर को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना गया है। ऐसे में उनकी भूमिका संदिग्ध हो जाती है। वहीं, मामले की न्यायिक जांच विधि विभाग में लंबित है। ऐसे में मुनेश के महापौर रहने से लंबित न्यायिक जांच को प्रभावित करने की संभावना है।
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5 अगस्त को किया था निलंबित
सरकार ने इससे पहले मुनेश गुर्जर को 5 अगस्त को पद से निलंबित किया था। मुनेश के पति सुशील गुर्जर को 4 अगस्त को एसीबी ने रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सरकार ने मुनेश को पद से निलंबित कर दिया। मुनेश गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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23 अगस्त को कोर्ट ने सरकार के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन यानी 24 अगस्त को मुनेश गुर्जर ने दोबारा मेयर का कार्यभार संभाला था।