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Amavasya December 2023: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या, जानें व्रत पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Amavasya December 2023: साल 2023 की आखिरी मार्गशीर्ष आवस्या 12 दिसंबर को पड़ रही हैं। इस दिन स्नान और पूजा का विशेष महत्व है।
11:49 AM Nov 29, 2023 IST | BHUP SINGH
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Amavasya December 2023: दिसंबर माह में पड़ रही मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व होता है। यह इस साल की आखिरी अमावस्या भी है। इस दिन तीर्थ स्नान करना बहुत फलदायी माना जाता है। जो मार्गशीर्ष अमावस्या को तीर्थ स्नान करते हैं उन्हें जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। अमावस्या को दान करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं। इस मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर, 2023 को पड़ रही है। अमावस्या का दिन पूर्वजों के पूजन का दिन भी माना जाता है।

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ऐसी मान्यता है कि इस दिन तर्पण, पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन मंगलवार होने से ये भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। मंगलवारी अमावस्या के दिन पितरों का पूजन करने से मनुष्य पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है। इस दिन पितृ पूजा के साथ हनुमान जी और मंगल देवता की उपासना से मंगल ग्रह जनित दोष भी दूर हो जाते हैं।

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हिंदू पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि 12 दिसंबर, 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 13 दिसंबर, 2023 को सुबह 05 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। अगर इस अमावस्या पर कोई स्नान करना चाहता है तो स्नान के लिए शुभ मुर्हूत सुबह 05:14 बजे से लेकर सुबह 06:09 बजे तक रहेगा। इसके अलावा पितृ पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:54 बजे से लेकर दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा।

मार्गशीर्ष अमावस्या के लाभ

ज्योतिषियों के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो, संतान सुख की कीम हो या राहु नवम भाव में नीच का हो उन्हें मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से लाभ मिलता है। साथ ही इस अमावस्या पर तुलसी की जड़ से स्नान करना चाहिए। इससे श्रीकृष्ण भगवान अपने भक्तों से विशेष प्रसन्न होकर कृष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।

साल की आखिरी अमावस्या का महत्व

धर्म ग्रंथों के मुताबिक, सतयुग में देवों ने मार्ग शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था। विष्णु पुराण के मुताबिक, इस अमावस्या पर व्रत, स्नान और दान करने से पितृ गण के साथ ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। कहते हैं जिस कार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मीजी का पूजन कर दिवाली मनाई जाती है, ठीक उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ माना जाता है।

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