डूंगरपुर रियासत के पूर्व महारावल महिपाल सिंह नहीं रहे, 92 की उम्र में निधन, CM गहलोत ने दी श्रद्धांजलि
जयपुर। राजस्थान की सबसे पुरानी रियासत में एक डूंगरपुर राजघराने के महारावल महिपाल सिंह का आज परम्परा के अनुसार सुरपुर मोक्षधाम पर पंचतत्व में विलिन हुए। महारावल महिपालसिंह डूंगरपुर के मोक्ष यात्रा से पूर्व राजघराने की परम्परा के अनुसार राजतिलक की परम्परा उदयविलास पैलेस में निभाई गई।
परम्परा के अनुसार पूर्व महारावल महिपालसिंह को क्षत्रिय और सर्व समाज की ओर से श्रृद्धांजली दी गई। उनकी मोक्ष यात्रा दोपहर 3 बजे उदयविलास पैलेस से रवाना हुई। जिसमें राजस्थान, गुजरात के राजघराने के लोग और जिलेभर के गांवों से आए लोग शामिल हुए। जो सुरपुर मोक्षधाम पर पंचतत्व में विलिन हुए।
महारावल लक्ष्मण सिंह के सबसे बडे पुत्र थे महिपालसिंह
राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और देश की आजादी से पहले राजपूताना की सबसे पुरानी रियासत के अन्तिम शासक महारावल लक्ष्मण सिंह के सबसे बडे पुत्र महिपालसिंह थे। महिपालसिंह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों के ज़बर्दस्त जानकार और ज्ञान कोष था। इसके लिए विश्व की अधिकांश भाषाओं की किताबे उनके पास बने पुस्तकालय में मौजूद थी।
14 अगस्त 1931 को जन्में महिपाल सिंह ने मेयों कालेज अजमेर से प्रारंभिक पढ़ाई करने के बाद दिल्ली विश्व विध्यालय के विख्यात सेंट स्टीफ़न्स कॉलेज़ से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। उन्होंने बीकानेर राजघराने की राजकुमारी देव कुंवर से शादी की। महिपाल सिंह के एक पुत्र हर्षवर्धन सिंह है। इकलौती पुत्री कीर्ति कुमारी ने सिरोही के महाराज कुमारदैवत सिंह से शादी की है।
क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे महिपालसिंह
महिपाल सिंह की रुचि सदैव स्वध्याय और खेलकूद में रहा। विशेष कर वे क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी और राज क्रिकेट क्लब डूंगरपुर के अध्यक्ष भी रहे। अध्ययन के साथ साथ शोध कार्य में लगें छात्रों को ज्ञान बाँटना और आध्यात्मिक विचारों का आदान प्रदान किया। इसी के कारण कई विदेशी छात्र शौध के विषय पर डूंगरपुर आते थे। विरासत में मिली राजनीति में भी उनकी गहरी रुचि रही।
सत्तर से अस्सी में बने जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष
सत्तर से अस्सी के दशक में देश में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले सम्पूर्ण क्रान्ति जन आन्दोलन और कांग्रेस के विरुद्ध एक जुट होंने से विभिन्न दलों को मिला कर बनी जनता पार्टी के डूंगरपुर जिला अध्यक्ष रहें। इसके अलावा वे देश के प्रथम गवर्नर जनरल राजाजी राजगोपालाचारी द्वारा गठित स्वतन्त्र पार्टी के वरिष्ठ नेता भी रहे। तत्कालीन स्वतंत्र पार्टी राजस्थान के प्रदेश महामंत्री बने। जयपुर की महारानी गायत्री देवी को राजनीति में लाने आदि कार्यों का क्षेय उन्ही को दिया जाता है।
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के चीफ़ जस्टीस रहें काका
महिपाल सिंह के परिवारिक रिश्ते राजस्थान के बडे राजघरानों से था। उनकी माता किशनगढ़ अजमेर की राजकुमारी मनहर कुंवर थी। पिता महारावल लक्ष्मण सिंह थे। जो राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे है। दादी देवेन्द्र कुंवर ने भारत में सबसे पहले आदिवासी क्षेत्र बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गल्स स्कूल खोला था। उनके काका डॉ. नागेंद्रसिंह अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के चीफ़ जस्टीस रहें।
अपने छोटे भाइयों जयसिंह डूंगरपुर राजस्थान रणजी क्रिकेट टीम के वर्षों तक कप्तान और राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे। उनके सबसे छोटे भाई राजसिंह डूंगरपुर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के चयनकर्ता, मेंनेजर प्रशासक और अध्यक्ष रहे। साथ ही मृत्यु पर्यन्त क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया मुंबई के अध्यक्ष रहे।
महिपाल सिंह के है तीन पौतियां और एक पौत्र
बता दें कि महिपाल सिंह की तीन पौतियां और एक पौत्र हैं। इनमें में से एक पौती शिवात्मिका कुमारी (हर्ष वर्धन सिंह -महश्री कुमारी ) ने राजकोट राजघराने के टिक्का साहब जयदीपसिंह जडेजा से शादी की है। इसी प्रकार दूसरी पोती त्रिशिखा कुमारी का विवाह मैसूर राजघराने में यदुवीर कृष्णदत्तचामराजा वोडेयार से हुआ है। तीसरी पौती शिवांजलि कुमारी और पौता तविशमान सिंह (हर्ष वर्धन सिंह - प्रियदर्शिनी कुंवर) अभी शिक्षारत है।
CM अशोक गहलोत ने दी श्रद्धांजलि
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महारावल ने महिपाल सिंह श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, सीएम गहलोत ने ट्वीट कर लिखा- डूंगरपुर के पूर्व राजपरिवार के महारावल श्री महिपाल सिंह जी के निधन पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिजनों को संबल देने की कामना करता हूं।