होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

Mahashivratri 2023: शिवलिंग को 12 घंटे पानी में रखने के पीछे की क्या है कहानी, महाशिवरात्रि पर जानिए शिवाड़ के इस मंदिर का इतिहास 

09:09 AM Feb 18, 2023 IST | Supriya Sarkaar

सवाईमाधोपुर। राजस्थान के सवाईमाधोपुर में बसा छोटा सा कस्बा ‘शिवाड़’ जो कि 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। इसे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहते हैं। इस मंदिर में देवस्थान विभाग द्वारा मार्च 1988 में पहली बार ट्रस्ट का पंजीयन करवाया गया। इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। इस मंदिर की खास बात है कि यहां शिवलिंग को 12 घंटे पानी में रखा जाता है। 

पानी में क्यों रखा जाता है शिवलिंग

इस मंदिर में एक शिवलिंग बना हुआ है। जिसे घुश्मेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। शिवलिंग के गर्त में बने होने के कारण भक्त शीशे में देखकर शिवजी के दर्शन करते है। यहां शिवलिंग को शाम 4 बजे से सुबह 4 बजे तक पानी में रखा जाता हैं। इसके पीछे खास कहानी है.. कहा जाता है कि इस जगह शिवजी का रोद्र रूप विधमान है और इस रूप में शिवजी को क्रोध अधिक आता है। अत: उनके क्रोध को शांत रखने के लिए शिवलिंग को 12 घंटे पानी के अंदर रखा जाता हैं। 

राजस्थान का अति सुंदर मंदिर 

यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है… पहाड़ी पर बने इस मंदिर की विशेष सुंदरता देखने के लिए ही लोग यहां आते हैं। मंदिर के ऊपर एक पार्क बना हुआ है, वहीं आस-पास सभी देवी-देवताओं की मुर्तियां बनी हुई है। शिव, गणेश, दुर्गा मां, हनुमान जी और राधे कृष्ण की अति विशाल और सुंदर मुर्तियां है। इन्हें देखने पर लगता है, मानों यह हमसें बात कर रही हो।   

(Also Read- नाखूनों पर होता है शनि का प्रभाव, सूर्यास्त के समय ना काटें)

मंदिर से जुड़ी कहानी 

शिवाड़ में बने घुश्मेश्वर महादेव मंदिर को भगवान शिव के बारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव ने अपने एक भक्त की भक्ति से खुश होकर उसे एक वरदान दिया था। जिसका नाम घुश्मा था। कहते हैं कि घुश्मा हर दिन 108 पार्थिव शिवलिंगों का पूजन करती थी। जिससे भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि शिवजी ने उसके नाम से ही यहां अवस्थित होने का वरदान दे दिया। इसी कारण इस मंदिर का नाम घुश्मेश्वर हुआ।

महमूद गजनवी ने किया था यहां आक्रमण

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महमूद गजनवी ने यहां आक्रमण किया था। जिसके बाद स्थानीय शासक चन्द्रसेन गौड़ और उसके पुत्र इन्द्रसेन गौड़ ने गजनवी से युद्ध किया जिसमें वे दोनों मारे गए। इस स्थान को लेकर अलाउद्दीन खिलजी का भी उल्लेख मिलता है। अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर के पास ही मस्जिद बनवाई थी।

(Also Read- Paush Purnima 2023 : नए साल में पूर्णिमा पर बन रहे है ये दुर्लभ योग, लक्ष्मी-नारायण की कृपा से खूब होगी धनवर्षा)

Next Article