उदयपुर एयरपोर्ट पर लगा ILS सिस्टम, घने कोहरे में भी होगी विमानों की लैंडिंग, जानें क्या है ILS सिस्टम?
जयपुर। घने कोहरे और विजिलिटी कम होने के चलते सर्दियों में फ्लाइट्स को एयरपोर्ट पर लैंडिंग में कई बार दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब उदयपुर के महाराणा प्रताप डबोक एयरपोर्ट पर इस समस्या का समाधान हो गया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एयरपोर्ट को रन-वे-न्यू कैटेगिरी 1 का इस्ट्रूमेंट लैडिंग सिस्टम (ILS) से लैस कर दिया है, जिससे कम विजिबिलिटी और घने कोहरे में भी फ्लाइट्स लैंडिंग कर सकेंगी। इससे राजस्थान के यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।
ट्यूरिट सिटी होने के चलते उदयपुर में काफी पयर्टक आते हैं। साथ ही उदयपुर डेस्टिनेशन वेडिंग का सबसे लोकप्रिय स्थान बनता जा रहा है। ऐसे में खराब मौसम में खासकर सर्दियों में कोहरे के चलते फ्लाइट्स को लैंड करवाना मुश्किल होता है। इसके चलते कई बार फ्लाइट्स को जयपुर, अहमदाबाद और सूरत एयरपोर्ट के लिए डायवर्ड करना पड़ता है।
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कम विजिबिलिटी में भी उतर सकेंगे विमान
डबोक एयरपोर्ट डायरेक्टर योगेश नगाइच ने बताया कि एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक ILS सिस्टम 8 जनवरी को लगा दिया गया है। इससे घने कोहरे में भी फ्लाइट्स लैंड कर पाएंगी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने सोशल मीडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इस सिस्टम से लैस होने के बाद अब धुंध में हवाई यात्रा बाधित नहीं हो पाएगी। खबरा मौसम के चलते फ्लाइट्स को डायवर्ट करने से राहत मिलेगी। ILS सिस्टम के लगने से अब विमान 800 से भी कम विजिबिलिटी में भी उतर सकेंगे। इस नए सिस्टम का परीक्षण भी किया गया। इसके विभिन्न मानकों पर खरा उतरने के बाद इसे शुरू कर दिया गया है।
ILS सिस्टम में ये खूबियां
ILS सिस्टम के साथ ही यहां एंटिना टावर भी लगाया गया है। इससे एयर ट्रैफिक क्षेत्र में पहुंचे विमानों को इलेक्ट्रोनिक प्लेट संपर्क प्रणाली की मदद से लैंडिंग के समय बेहतर दिशा-निर्देश दिए जा सकेंगे। कम विजिबिलिटी होने के बावजूद विमान सुरक्षित लैंड हो सकेंगे। विमानों को टेकऑफ होने में भी मदद मिलेगी। नया अपडेट सिस्टम से अब 800 मीटर से कम व 550 मीटर से ज्यादा विजिबिलिटी होने पर भी फ्लाइट्स लैंड होने के साथ ही टेकऑफ प्रक्रिया भी आसानी से होगी।
क्या है इंट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम
-इंट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम विमान को स्टीक देखने में सहायता करता है।
-लैंडिंग के समय पायलट सीधा और सामने से रनवे को देखने-समझने के लिए दो रेडियो बीम का उपयोग करते हैं।
-लोकलाइजर (एलओसी) मार्गदर्शन करके ब्लाइंड लैंडिंग में सहायता करती है।
-विजिबिलिटी कम होने के बाद भी फ्लाइट की लैडिंग में आसानी हो सकती है।
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हर दिन 2400 यात्री करते हैं सफर
उदयपुर एयरपोर्ट की बात करते तो यहां से लगभग हर दिन 20 फ्लाइट्स उड़ान भरती हैं। हर दिन के हिसाब से करीब 2200 यात्री आते हैं और करीब 2400 यहां रवाना होते हैं। इस समय डबोक एयरपोर्ट को 10 शहरों में उड़ान भरने की परमिशन मिली हुई है। यह शेड्यूल 30 मार्च तक चलेगा। इनमें यहां से दिल्ली, मुंबई, इंदौर, जयपुर, बेंगलूरू, हैदराबाद, अहमदाबाद, सूरत और राजकोट के लिए उड़ानें हैं।