Lumpy Skin Disease : विपक्ष का गहलोत सरकार पर हमला, कहा- भगवान भरोसे छोड़ दिए गोवंश
Lumpy Skin Disease : जैसलमेर, बीकानेर, जालोर, सिरोही सहित समस्त जिलों में लम्पी संक्रमण को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा और आप ने इस मामले में राज्य सरकार से तत्काल व्यवस्था कर गोवंश को बचाने की मांग की है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में गायों व अन्य पशुओं में तेजी से संक्रमण फैल रहा है, जिससे लाखों गायों की मौत हो चुकी है और 10 लाख से अधिक गोवंश संक्रमित है।
ऐसे में लम्पी संक्रमण को रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना की जरूरत है, लेकिन सरकार ने गायों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है। पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने बताया कि बीकानेर के जोड़ बीड क्षेत्र में गैर लम्पी अर्थात सामान्य रूप से मृत पशु ही डाले जा रहे हैं ताकि गिद्ध संरक्षण क्षेत्र में गिद्ध एवं रेप्टर्स आदि सामान्य मौत से मरे इन पशुओं के अवशेषों को अपना आहार बना सके।
गायों को दफनाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवा रही सरकार
पूनियां ने कहा कि लम्पी संक्रमण से गायों को बचाने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर ना तो उचित उपचार की सुविधा है और ना ही राज्य सरकार गायों के वैक्सीनेशन पर ध्यान दे रही है, ऐसे में लाखों गाय काल कवलित हो चुकी हैं, जिनके शवों के निस्तारण के लिए गहलोत सरकार जमीन भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। खुले में मृत गायों से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण फै लने के गम्भीर हालात हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश के गोवंश को बचाने के लिए दवाई, वैक्सीनेशन और ईलाज उपलब्ध कराने के प्रति संवेदनहीन बने हुए हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि लम्पी संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर सभी जिलों में विशेष दल गठित हों, पशुपालन विभाग में लंबित भर्तियां पूरी हों, पशुओं के लिए दवा व वैक्सीनेशन की उपलब्धता हो और साथ ही समय पर इलाज मिले, जिससे सभी पशुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सरकार की लापरवाही बेजुबां भुगत रहे खमियाजा
आम आदमी पार्टी ने मामले में बुधवार को प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि पशुपालन विभाग को लगभग 8 महीने पहले इस बीमारी के बारे में पता चल गया था, 8 महीने पहले सीकर के दगोली गांव में लम्पी स्किन बीमारी का पहला केस आया था, तब से गहलोत सरकार की लापरवाही देखने को मिल रही है। इसके कारण आज लगभग 9.30 लाख गोवंश इस बीमारी की चपेट में आ गए और लगभग 41000 से ज्यादा गोवंश मौत के शिकार हो गए। यह आंकड़ा आधिकारिक रूप से सरकार ने दिया
है, जबकि इसमें आंकड़े छु पाए जा रहे हैं। हर जिले में इससे ज्यादा पशु इस बीमारी के शिकार होकर मौत के मुंह में गए हैं, जिसमें 10000 से ज्यादा मौत के वल जैसलमेर में हुई हैं। राजस्थान में कम से 3000 ज्यादा ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।