Lumpy Skin Disease : सरकार ने बढ़ाया वैक्सीनेशन, 11 लाख लड्डुओं से बची लाखों गायें
Lumpy Skin Disease : राजस्थान में पशुओं में तेजी से फैले लम्पी वायरस का खतरा कम होने लगा है। सरकार के साथ सामाजिक संस्थाओं, युवाओं, जनप्रतिनिधियों और पशु प्रेमियों द्वारा लगातार प्रयास के बाद लम्पी पर काबू पाया गया। पिछले 15 दिनों में लम्पी संक्रमण और इससे होने वाले पशुधन की मौत में कमी आई है। संक्रमण कम होने पर पशुपालन विभाग ने पशुओं का वैक्सीनेशन बढ़ाया है। प्रतिदिन एक लाख से अधिक पशुओं को वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
गायों की मौत में आई कमी
प्रदेश में एक सप्ताह पहले तक राज्य में तकरीबन 11 से 12 हजार पशुधन इस बीमारी से संक्रमित हो रहा था। वहीं करीब साढ़े सात सौ से अधिक पशुधन की मौत हो रही थी। उसमें अब कमी आ रही है। गत माह इस बीमारी से प्रतिदिन संक्रमित होने वाले गोवंश की संख्या 11 से 12 हजार तक थी, वह अब कम होकर 5 से 6 हजार तक रह गई है। प्रदेश में अब तक सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 15 लाख, 20 हजार पशु लम्पी से संक्रमित हुए हैं। वहीं लम्पी से से हो रही पशुधन की मौत का आंकड़ा भी काफी कम हुआ है। गत माह 25 से 30 सितंबर तक मौत का आंकड़ा पौने आठ सौ तक था। अब यह आंकड़ा कम होकर औसतन साढ़े तीन सौ तक ही रह गया है।
रोजाना दो लाख पशुओं को लगाई जा रही है वैक्सीन
पशुपालन विभाग द्वारा अधिकारियों व कार्मिकों के अवकाश निरस्त कर फील्ड में रहने के निर्देश दिए गए थे, साथ ही हैल्पलाइन नंबर जारी कर पशुपालकों को इलाज और लम्पी के संक्रमण की जानकारी दी गई। प्रतिदिन 28 से 30 हजार पशुओ का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। विभाग ने 40 लाख पशुओ के टीकाकरण का लक्ष्य तय किया है। संक्रमण कम होने पर अब प्रतिदिन 2 लाख के करीब पशुओं के टीका लगाया जा रहा है। अब तक प्रदेश में 25 लाख पशुओं का टीकाकरण किय जा चुका है।
इक्कीस तरह की आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग किया
जयपुर के मित्राय बी ह्यूमन इंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में लम्पी रोग से पीड़ित गायों के लिए 13 सितंबर से मुरलीपुरा के एक मैरिज गार्डन में रसोई शुरू हुई, जहां पर 21 प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों से निर्तमि लड्डू बनाए गए। टीम मित्राय के संस्थापक डॉ. विनीत शर्मा और रश्मि शर्मा ने बताया कि 21 दिन तक दिन रात यह रसोई चली। यहां रोजाना 50 हजार से अधिक लड्डू बनाए गए। यहां 11 लाख से अधिक आयुर्वेदिक लड्डू बनाकर आस-पास के ग्रामीण इलाकों, गोशालाओं और पूरे प्रदेश के अलग अलग इलाकों में भेजे गए।
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