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कोई बना मंत्री तो कोई बना सीएम…राजस्थान में अब भी कायम है पूर्व राजपरिवारों का सियासी प्रेम

03:41 PM Apr 01, 2024 IST | Sanjay Raiswal

Rajasthan Lok Sabha election 2024 : आजादी के बाद देश के पूर्व राजपरिवारों की सत्ता लोकतांत्रिक सरकारों के हाथों में है। अन्य राज्यों की तरह राजवाड़ों के प्रदेश राजस्थान में आज भी कई राज परिवार मौजूद हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से कई पूर्व राजपरिवारों के सदस्य आज भी राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन, एक बड़ा सच यह भी है कि इनकी आस्था समय के साथ बदलती रही है। आजादी के बाद प्रदेश के अधिकांश पूर्व राजपरिवारों ने पहले स्वतंत्र पार्टी को समर्थन दिया। वहीं समय-समय पर भाजपा और कांग्रेस के साथ होते गए।

पूर्व राजमाता ने मजबूत की थी स्वतंत्र पार्टी की जड़ें

जैसा की हम कह चुके है कि पूर्व राजपरिवारों की आस्था समय के साथ बदलती रही है। लेकिन क्या आप जानते है कि जयपुर की पूर्व दिवंगत राजमाता गायत्री देवी आजादी के बाद पहली बार 1962 में सांसद बनी थी। पूर्व राजमाता गायत्री देवी ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर 1962 में पहली बार चुनाव लड़ा। इसके बाद साल 1967 और 1971 में सांसद बनी। हालांकि 1971 के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी की जड़ें मजबूत करने में गायत्री देवी की बड़ी भूमिका रही।

डिप्टी सीएम भी राज परिवार से

पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पुत्र दिवंगत भवानी सिंह ने 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा पर जीत नहीं पाए। भवानी सिंह पुत्री दीया कुमारी वर्तमान में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री हैं। इससे पहले वे एक बार सवाईमाधोपुर से विधायक और राजसमंद से सांसद रह चुकी हैं।

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का धौलपुर राजपरिवार से नाता

धौलपुर पूर्व राजपरिवार की सदस्य वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। वर्तमान में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा झालावाड़ से पांच बार सांसद निर्वाचित हुई। खुद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुई तो पुत्र दुष्यंत सिंह को लोकसभा का चुनाव लड़वाया। चार बार सांसद रहे दुष्यंत पांचवी बार भी मैदान में हैं।

करणी सिंह 5 बार सांसद रहे

बीकानेर पूर्व राजपरिवार के करणी सिंह पांच बार सांसद रहे, वर्तमान में उनकी पौत्री सिद्धी कुमारी विधायक हैं। भरतपुर पूर्व राजपरिवार के विश्वेंद्र सिंह पहले भाजपा में रहे और फिर कांग्रेस से विधायक बन कर अशोक गहलोत सरकार में मंत्री थे।

विश्वेंद्र सिंह की पत्नी दिव्या सिंह भाजपा से सांसद रही हैं। विश्वेंद्र सिंह के दिवंगत चाचा मानसिंह निर्दलीय विधायक रहे और उनकी चचेरी बहन कृष्णेंद्र कौर भाजपा से विधायक व वसुंधरा सरकार में मंत्री रही हैं।

सियासत में कोटा राजपरिवार

कोटा पूर्व राजपरिवार के सदस्य बृजराज सिंह दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद रहे। उनके बेटे इज्येराज सिंह भी एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। वर्तमान में उनकी पत्नी कल्पना देवी भाजपा की विधायक हैं।

अलवर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य महेंद्र कुमारी भाजपा के टिकट पर एक बार सांसद रहीं, लेकिन उनके पुत्र जितेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल होकर दो बार सांसद बने। अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

ये राजपरिवार भी राजनीति में सक्रिय

जोधपुर पूर्व राजपरिवार की सदस्य चंद्रेश कुमारी कांग्रेस से सांसद रही हैं। डूंगरपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य हर्षवर्धन सिंह भाजपा से राज्यसभा सांसद थे। उदयपुर पूर्व राजपरिवार के महाराणा महेंद्र सिंह पहले सांसद रहे तो वर्तमान में उनके पुत्र विश्वराज सिंह विधायक हैं।

खींवसर पूर्व राजपरिवार के सदस्य गजेंद्र सिंह प्रदेश की भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री हैं। इससे पहले डूंगरपुर,बांसवाड़ा और सीकर के पूर्व राजपरिवारों ने भी समय-समय पर पार्टियों के प्रति अपनी आस्था बदली है।

जोधपुर के पूर्व महाराजा का भी हैं बहुत महत्व

जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उनकी निर्णायक भूमिका रहती है। पार्टियां टिकट तय करते समय उनकी सलाह को महत्व देती हैं। वहीं मतदाता भी उनके प्रति आस्था रखते हैं।

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