होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

एक प्रकार का खनिज है चूना, सेहत के लिए भी फायदेमंद है यह पदार्थ

12:13 PM Jan 17, 2023 IST | Supriya Sarkaar

हमारे घरों में रंगाया जाने वाला रंग अधिकतर सफेद होता है। कुछ लोग अपने घरों को अलग-अलग रंगो से भी रंगवाते हैं। आधुनिक समय में पुताई का रंग तथा समान बदल चुका है। लेकिन पुराने समय से काम में लिया जाने वाला चुना आज भी लोग अपने घरों में रंगवाते है। कहा जा सकता है कि यह एक प्रकार का सदाबहार रंग है, जिससे लोग कभी नहीं ऊब सकते।

इसके बारे में कम ही लोगों को पता है कि चूना एक प्रकार का खनिज है। इसके केल्शियम पाया जाता है। इसमें दूसरा रंग मिलाकर भी लोग अपने घरों में रंग करवाते हैं। बाकि रंगों की तुलना में यह सस्ता भी है और टिकाऊ भी है। इसलिए लोग इसे चूने का इस्तेमाल सबसे अधिक करते हैं। इन सब के अलावा चूने का उपयोग खाने में भी किया जाता है। इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे आज के कॉर्नर में…    

चूने के बारे में 

चूने में कार्बोनेट, ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड प्रमुख रूप से पाया जाता है। यह कैल्शियमयुक्त एक अकार्बनिक पदार्थ है। गृहनिर्माण में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। वर्तमान में इसके स्थान पर पोर्टलैंड सीमेंट का भी इस्तेमाल किया जाता है। चूने को दो प्रमुख भागों में बांटा जाता है। पहला साधारण चूना तथा दूसरा जल चूना। जल चूने को हाइड्रोलिक लाइम भी कहा जाता है। 

(Also Read- 434 साल पहले बना था स्वर्ण मंदिर, गुरु अर्जुन देव जी ने खुद तैयार करवाया था इसका नक्शा)

इन दोनों प्रकार के चूना में काफी अंतर पाया जाता है। घर की पुताई, पलस्तर से लेकर चूना खाने के काम भी आता है। यह स्मृति विकार को दूर करता है। इसके सेवन से हड्डियां भी मजबूत बनती है। इसके अत्यधिक सेवन से आंतो को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में अल्सर की समस्या होने की आशंका रहती है। आयूर्वेद की मानें तो चूने के सेवन से हड्डियां मजबूत होती है।   

साधारण व जल चुना 

साधारण चूने में कैल्सियम की मात्रा 71 प्रतिशत तथा 28 प्रतिशत ऑक्सीजन पाया जाता है। यह पानी में नहीं जमने वाला पदार्थ है तथा पर्याप्त मात्रा में उष्मा देता है। इस प्रकार का चूना उत्तराखंड के देहरादून और मध्यप्रदेश के सतना में अधिक पाया जाता है। इसे जलीयित या बुझा चूना भी कहा जाता है। इसे चूनापत्थर, खड़िया या सीप को जलाकर तैयार किया जाता है। जबकि जल चूना कंकड़ या मिट्टी युक्त चूनापत्थर जलाकर बनाया जाता है। 

इसमें सिलिका, ऐल्यूमिना और लौहआक्साइड अपद्रव्य के रूप में मौजूद रहते हैं। यह चूने के साथ मिलकर कठोर यौगिक बनाते हैं। यह 10 से 30 दिनों के अंदर पानी में जम जाता है। इस प्रकार का चूना कंकड़ द्वारा बनाया जाता है। यह कंकड़ उत्तर भारत के मैदानी भागों में सतह से कुछ गहराई में पाए जाते हैं।

चूने का उपयोग 

चूने का उपयोग दीवारों पर पलस्तर करने के लिए किया जाता है। इसे खाने के रूप में काम में लिया जाता है। लोग पान में मिलाकर इसका सेवन करते हैं। यह शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करता है। लेकिन अधिक मात्रा में चूने का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है।

(Also Read- भारत में 1300 वर्ष पहले हुई थी लालटेन की खोज, आखिर क्या है इसके हरे रंग का कारण)

Next Article