अंधेरे में गुम होती जिंदगी... आखिर क्यों आत्महत्या कर रहे हैं युवा
जयपुर। सुसाइड यानी अपने हाथों ही अपनी इहलीला समाप्त करना। बस चंद सैकंड का खेल, संभल गए तो ठीक नहीं तो पछताने का मौका भी नहीं मिलता। बस अपने पीछे छोड़ जाते हैं रोते-बिलखते परिजनों को। इसके साथ में एक सवाल भी कि ऐसा क्यों किया? खुदकुशी किसी भी परेशानी का समाधान नहीं है, यह अपने आप में एक बड़ी समस्या है। हाल ही में जारी की गई एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह समस्या बढ़ती हुई नजर आई है।
देश में पिछले सालों की तुलना करें तो खुदकु शी का मामलों में उछाल आया है। साल 2020 की तुलना में साल 2021 के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। कारण कई हैं लेकिन समाधान पर अभी तक सवाल बना हुआ है। सबसे गंभीर बात यह है कि आत्महत्या के मामलों में युवाओ का हिस्सा बहुत अधिक है। यूं तो हर उम्र के लोगों ने आत्महत्या की है, लेकिन युवाओ का सबसे ज्यादा होना विषय को अधिक चिंताजनक बनाता है।
सबसे ज्यादा हैं युवा
अब बात युवाओं की। पिछले कुछ समय में युवाओं में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, 18 से 30 साल के युवा इस ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2021 में कुछ 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत में आत्महत्या की। इनमें ज्यादातर युवा थे। इस एक साल में 18 से 30 साल के 56,543 युवाओं ने आत्महत्या की थी। वहीं, 30 से 45 साल के 52,054 और 45 से 60 साल के 30,163 लोगों ने सुसाइड किया था। वहीं, 18 साल से कम उम्र के 10,732 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी।
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एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या करने वाले कारणों के बारे में भी बताया है। इसमें पारिवारिक समस्याएं, गंभीर रोग, प्रेम प्रसंग आदि जैसे कारण सामने आए हैं। पिछले साल 33% सुसाइड फैमिली प्रॉब्लम और 19% बीमारी की वजह से हुए हैं।
सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में
देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या महाराष्ट्र में हुई। महाराष्ट्र में पिछले साल 22,207 लोगों ने सुसाइड किया था। वहीं तमिलनाडु में 18,925 और मध्य प्रदेश में 14,965 लोगों ने आत्महत्या कर जान दी। दिल्ली में 2,840 लोगों ने आत्महत्या की थी।
कमाई से भी है कनेक्शन
इसके साथ आत्महत्या करने वाले 64% यानी 1.05 लाख लोग ऐसे थे, जिनकी सालाना कमाई 1 लाख रुपए से भी कम थी। वहीं, 32% लोग ऐसे थे जिनकी कमाई सालभर में 1 से 5 लाख के बीच थी। इनमें 25% से ज्यादा लोग ऐसे थे जो दिहाड़ी मजदरी करते थे। 14% घरेलू महिलाएं , 12% कामकाजी और 8.4% बेरोजगार थे।
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ये होते हैं कारण
मानसिक बीमारीः
यह एक मुख्य वजह होती है। इसमें मरीज को कई बार अपनी बीमारी का पता नहीं चलता है। सही समय पर उपचार नहीं मिलने पर यह समस्या बढ़ जाती है।
तनावः
तनाव के चलते सुसाइड करना एक आम कारण सामने आता रहा है। खास तौर पर युवाओ के जीवन में तनाव प्रबंधन के गुर नहीं होना बड़ी वजह है। इससे बचने के लिए तनाव से जूझने में मदद करने वाली स्किल पर फोकस करना चाहिए।
जागरूकताः
मानसिक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी हेल्पलाइन के बारे में जागरूकता न होना भी एक कारण है। सही सपोर्ट नहीं मिलने से खुदकुशी की संभावना बढ़ जाती है।
हिचकिचाहटः
आमतौर पर देखने में आता है कि जो लोग मानसिक परेशानी से जूझ रहे होते हैं वे मदद लेने से हिचकिचाते हैं। यही कारण है कि वे नैराश्य में डूब जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। सपोर्ट सिस्टम की कमीः मानसिक समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए सही सपोर्ट सिस्टम की कमी हमेशा से रही है। सामाजिक और सरकारी तौर पर इसके लिए बातें तो हो रही हैं, लेकिन काम नहीं।
देश में 27वें नंबर पर है राजस्थान
राजस्थान में इस साल प्रदेश में 2020 की तुलना में साल 2021 में आत्महत्या के मामलों में मामूली वृद्धि हुई है। प्रदेश में 2021 में 5593 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। वहीं, इससे पहले 2020 में 5546, 2019 में 4531, 2018 में 4333, 2017 में 4188, 2016 में 3678 और 2015 में 3457 आत्महत्याएं दर्ज की गईं थी। सिंगल सुसाइड केस के मामले में राजस्थान का देश में 27वें नंबर पर है।
क्या कहती है रिपोर्ट
एनसीआरबी की 2021 रिपोर्ट के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो देश में 2021 के दौरान आत्महत्या के कारण 1.64 लाख से अधिक लोग मौत को गले लगा चुके हैं। ऐसे में भारत में रोजाना 450 लोगों ने सुसाइड किया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया – 2021 रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या करने वाले लोगों में लगभग 1.19 लाख पुरुष, 45,026 महिलाएं और 28 ट्रांसजेंडर शामिल थे।
दुनिया में हर साल 8 लाख लोग
आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 महामारी से पहले के वर्षों की तुलना में साल 2020 और 2021 में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखी गई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में देशभर में 1.53 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी। साल 2021 में 1.64 लाख लोगों ने खुदकुशी की। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है, दनुिया में हर साल करीब 8 लाख लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
साल दर साल बढ़ रहे मामले
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 देश में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1.39 लाख थी, 2018 में यह 1.34 लाख, 2017 में 1.29 लाख जबकि 2020 और 2021 में यह संख्या 1.50 लाख से अधिक थी। एनसीआरबी साल 1967 से आत्महत्या के मामलों के आंकड़ों का संकलन कर रहा है। उस वर्ष में इस तरह की मौत के 38,829 मामले दर्ज किए गए थे।
डायरी लिखें, लिस्ट बनाएं
एक्सपर्ट्स का मानना है कि खुदकुशी के बारे में सोचने वाले लोग दरअसल अपनी तकलीफ से दूर रहना चाहते हैं। वे मरना नहीं चाहते, लेकिन कोई दसू रा रास्ता नहीं मिल पाता है। ऐसे में जब भी किसी को सुसाइड करने जैसे विचार आ रहे हैं तो उन्हें अपने दिमाग को उन चीजों पर फोकस करना है, जिसकी वजह से वो जीने की इच्छा अपने मन में लाएं।
आपको उन चीजों के बारे में सोचना है, जिसमें आप अपने जीने की वजह को ढूंढ पाएं । आपको ऐसी वजहों को एक डायरी में लिखना चाहिए जो आपको जीने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके बाद आप जब भी लाइफ में लो महसूस करें, इस लिस्ट को देखें और जीने की सोचें।
सेलिब्रिटीज भी अछूते नहीं हैं
सिनेमा की चमचमाती दुनिया ने कई बार ऐसी ही कई घटनाओं से चौंकाया है, जब किसी सेलिब्रिटी ने खुदकुशी की। युवाओ के दिलों पर राज करने वाले सुशांत सिंह राजपूत, आसिफ बसरा, तमिल एक्ट्रेस चित्रा, ‘बालिका वधू’ फे म प्रत्यूषा बैनर्जी, संदीप नाहर, समीर शर्मा समेत कई नाम हैं जो आत्महत्या से जुड़ते नजर आए हैं।
समाधान की राह में पांच कदम
- सुधारें सपोर्ट सिस्टमः सपोर्ट सिस्टम होना बहुत जरूरी है। किसी भी परेशानी में बात की जा सके, मदद ली जा सके। हमें समाधान की तरफ लेकर जाए ये सुसाइड प्रिवेंशन है।
- हेल्पलाइन के बारे में सभी को जानकारी हो, अवेयरनेस फैलाई जाए।
- सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के बारे में सभी को सुरक्षित किया जाए। इसे लेकर एक समग्र प्रयास करने की जरूरत है।
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अध्याय को शिक्षा में प्रभावी रूप से सम्मिलित किया जाए।
- शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही हम मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्व दें।