प्रदेश में विशेष शिक्षा की आधी अधूरी उड़ान, संकट में 80 हजार से अधिक ‘होनहारों’ का भविष्य
(श्रवण भाटी) : जयपुर। प्रदेश में सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष विश्वविद्यालय तो खोल दिए गए, लेकिन इन विश्वविद्यालयों तक पहुंचने के स्टूडेंट्स के द्वार बंद हैं। आजादी के बाद से ही प्रदेश में मूक बधिर, अंध, मानसिक विमंदित दिव्यांग बच्चों के लिए विद्यालयों का संचालन हो रहा है, लेकिन अभी तक उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए व्याख्याता विशेष शिक्षक नहीं लगाए गए हैं।
प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा जयपुर, जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, बीकानेर में दो, बांसवाड़ा में कक्षा एक से लेकर 12वीं तक दिव्यांग स्कूल खोले हुए हैं। इन स्कूलों सहित ब्लॉक स्तर की सीनियर स्कूल में 80 हजार से अधिक दिव्यांग विद्यार्थी पंजीकृत है। विद्यालयों में पढ़ाने के लिए तृतीय श्रेणी के करीब 2 हजार शिक्षक और 225 के करीब वरिष्ठ अध्यापक कार्यरत है, लेकिन एक भी पद व्याख्याता विशेष शिक्षा का नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में कक्षा 10 उत्तीर्ण करने के बाद व्याख्याता नहीं होने से हर साल बच्चों की ड्राप आउट की संख्या बढ़ रही हैं।
निजी स्कूल में शिक्षक नहीं किए नियुक्त
विशेष योग्यजन आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने मार्च माह में राज्य के करीब 50 हजार प्राइवेट स्कूलों में विशेष शिक्षक रखने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन निजी स्कूल में अभी तक कोई विशेष शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए।
कैडर बनाना भूली सरकार
प्रदेश के सीनियर सेकंडरी और प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले 80 हजार 152 दिव्यांग विद्यार्थी पंजीकृत है, लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा संभाग के मुख्यालय पर मूकबधिर व नेत्रहीनों के लिए सीनियर सेकं डरी स्तर की स्कूल तो खोल दिए गए, लेकिन व्याख्याता पद का कै डर बनाना भूल गई। ऐसे में करीब एक लाख बच्चों को पढ़ाने के लिए व्याख्याता विशेष शिक्षा उपलब्ध नहीं है। वहीं सरकार ने विशेष योग्यजन महाविद्यालय व दिव्यांग विश्वविद्यालय जोधपुर और बाबा आम्टे दिव्यांग विश्वविद्यालय जामडोली जयपुर में संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन बिना सीनियर स्कूल में पढ़े ये बच्चे उच्च शिक्षा में कैसे पहुंचेंगे।
ड्रॉप आउट रोकने से ही दिव्यांगों की उच्च शिक्षा संभव
राजस्थान विशेष शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि सरकार को शिक्षा विभाग में जल्द से जल्द व्याख्याता विशेष शिक्षा की भर्ती कर उच्च माध्यमिक स्तर पर दिव्यांगों के ड्रॉप आउट को रोकना चाहिए। ड्रॉप आउट रोकने से ही दिव्यांगों की उच्च शिक्षा संभव होगी। प्रदेश सरकार को दिव्यांगों की शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए व्याख्याता विशेष शिक्षा की भर्ती संबंधी नियमों की फाइल जो पिछले दो वर्षों से प्रक्रियाधीन है, उसको सरकार को शीघ्र अनुमोदित करना चाहिए।
निशक्तजन आयुक्त के निर्देश की अवहेलना
राजस्थान प्रा.व मा. शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि विशेष बच्चों के लिए सरकार को निशक्तजन आयुक्त के निर्देश के बावजूद प्राइवेट स्कूलों में विशेष शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हैं। सरकारी स्कूलों में व्याख्याता विशेष शिक्षा के पद सृजित करने चाहिए। वहीं संस्कृत शिक्षा में विशेष शिक्षा का प्रावधान किया जाए, सरकार द्वारा विशेष बच्चों के लिए महाविद्यालय और विश्वविद्यालय खोले गए हैं ऐसे में विशेष शिक्षा में व्याख्याता कै डर बनाना समाचीन रहेगा।
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