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भारत में 1300 वर्ष पहले हुई थी लालटेन की खोज, आखिर क्या है इसके हरे रंग का कारण 

01:08 PM Jan 16, 2023 IST | Supriya Sarkaar

जब कभी भी घर में बिजली चली जाती है, तो रोशनी के लिए दिया, टॉर्च जैसे कई प्रकाश के स्रोत का सहारा लेते हैं। हालांकि आजकल विकल्प के तौर पर इन्वर्टर का इस्तेमाल किया जाता है। प्रकाश के स्रोतों की बात करें तो हमें लालटेन याद आता है। एक समय था जब हर जगह लालटेन को रोशनी करने के लिए काम में लिया जाता था। इसे सबसे अधिक गांवों में काम में लिया जाता था।

खासतौर पर इसका रंग हरा होता था। इसके पीछे एक दिलचस्प कारण है। दरअसल शुरूआत में इसका उपयोग सेना में किया जाता था। जैसा कि हम सभी को मालूम है सेना में गाड़ियों, सैनिकों के कपड़ों से लेकर सभी वस्तुए हरे रंग की होती है। इसी कारण लालटेन का रंग भी हरा होता था। धीरे-धीरे प्रकाश के स्रोत बढ़ते गए और लालटेन का अस्तित्व समाप्त हो गया। अब बहुत कम घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।     

इतिहास 

लालटेन का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इसकी खोज लगभग 1300 वर्ष पहले हुई थी। इसमें मिट्टी के तेल का प्रयोग किया जाता था। माना जाता है कि मिट्टी का तेल इसके अविष्कार का कारण बना। क्योंकि लालटेन में बत्ती लगाकर मिट्टी के तेल से रोशनी पैदा की जा सकती थी। इसके नीचे की तरफ कटोरी के आकार का बर्तन लगा होता है, जिसमें मिट्टी का तेल भरा जाता है। इसके ऊपर चिमनी लगी होती है जिसमें रूई या सूतली लगी होती है।

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लालटेन को अंग्रेजी में लालटर्न (lantern) कहा जाता है। यह शब्द अंग्रेज़ी के लॅन्टर्न शब्द का अपभ्रंश है। यह प्रकाश का सुवाह्य स्रोत है, जिसका अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाने वाली वस्तु। वर्तमान में इसके स्थान पर टार्च का उपयोग किया जाता है। बत्ती के चारों तरफ कांच का कवच होने के कारण तेज हवा के दौरान भी इसकी लौ नहीं बुझती। इसलिए सेना में इसका उपयोग अधिक किया जाने लगा था। 

लालटेन का उपयोग

शुरुआत में इसका उपयोग केवल सेना में किया जाता था। कम वजन व छोटा आकार का होने के कारण इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना बेहद आसान था। सैनिक रात के समय रोशनी करने के लिए इसे अपने साथ रखते थे। प्रकाश का बहुत अच्छा श्रोत होने के कारण धीरे-धीरे आम लोग भी इसका इस्तेमाल करने लगे।

सर्दी, बारिश और आंधी के समय भी इसका उपयोग किया जा सकता था। देखते ही देखते यह भारत में प्रकाश का मुख्य स्रोत बन गया। अब इसका उपयोग भारतीय रेल के सिग्नल के रूप में तथा परिवहन के साधनों में भी किया जाने लगा था। बाद में इसे रंगीन प्रकाशीय सजावट के रूप में काम में लिया जाने लगा। 

वर्तमान परिदृश्य 

इसकी महत्ता व आवश्यकता को देखते हुए लालटेन भारत में हर घर में पाया जाने वाला एक अनिवार्य प्रकाश उपकरण बन गया था। लेकिन वर्तमान में इसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। इसके स्थान पर कई उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। अब इसका इस्तेमाल सजावट के तौर पर भी किया जाता है। हालांकि आज भी कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लालटेन से रोशनी की जाती है।

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