For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

बदहाली के आंसू बहा रही बच्चों की पहली 'पाठशाला', दस्तावेजी जंजाल में उलझी सुविधाएं

राज्य के अंतिम छोर तक नन्हे बच्चों को खेलखेल में ‘क ख ग’ का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से खोली गईं आंगनबाड़ियां बदहाली के आंसू बहा रही हैं।
09:15 AM Aug 04, 2023 IST | BHUP SINGH
बदहाली के आंसू बहा रही बच्चों की पहली  पाठशाला   दस्तावेजी जंजाल में उलझी सुविधाएं

जयपुर। राज्य के अंतिम छोर तक नन्हे बच्चों को खेलखेल में ‘क ख ग’ का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से खोली गईं आंगनबाड़ियां बदहाली के आंसू बहा रही हैं। दूर दूराज के क्षेत्रों की तो क्या बात करें, राजधानी जयपुर में ही कई जगह आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को चारदीवारी तक नहीं मिल पा रही। ‘सच बेधड़क’ ने बुधवार को शहर की कई आंगनबाड़ियों का दौरा किया और देखा कि वहां की स्थिति काफी दयनीय थी। यहां बच्चों को पड़े के नीचे बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। जहां कमरे की व्यवस्था है, वहां एक छोटे कमरे में दर्जनों बच्चों को बिठाने की मजबूरी है। सरकारी स्तर पर चलने वाली कई योजनाओं की केंद्र ये आंगनबाड़ियां मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रही हैं। आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को टॉयलेट तक की सुविधा नहीं थी।

Advertisement

यह खबर भी पढ़ें:-गहलोत कैबिनेट की मीटिंग आज, नए जिलों के प्रारूप की अधिसूचना पर लग सकती मुहर

दस्तावेजी जंजाल में उलझी सुविधा

सरकार की ओर से आंगनबाड़ी संचालित करने के लिए 4 हजार रुपए प्रतिमाह किराए का प्रावधान है, मगर इसके साथ ही दस्तावेजी जंजाल इतने हैं कि आंगनबाड़ियों को किराए का कमरा नहीं मिल पाता। कच्ची बस्तियों में या तो किराए पर जगह ही नहीं मिलती, अगर मिल भी जाए तो दस्तावेजों के नाम पर पट्टे तक की मांग की जाती है, जो कच्ची बस्ती के लोगों के पास मिल पाना मुश्किल है। इस कारण राजधानी में कई जगह बच्चे खुले आसमान के नीचे कचरे के पास बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।

में मामले को दिखवा लेता हूं। बाकी शहर में आंगनबाड़ी के कमरों को लेकर समस्या काफी समय से है। इसका एक कारण किराए का मात्र 750 रुपये पार्टी महीना होना भी है। इतने कम में शहर में कमरा मिलना मुश्किल है। किराए के निर्धारण के लिए कई बार विभाग को लिखा भी जा चुका है। अशोक शर्मा, बाल विकास परियोजना अधिकारी, सांगानेर

यह खबर भी पढ़ें:-भीलवाड़ा कांड पर वसुंधरा ने CM गहलोत को घेरा, आंकड़ों की आड़ में कब तक ऐसी घटनाओं को छिपाएंगे?

सांप, बिच्छुओं के डर के साए में बचपन

त्रिवेणी नगर कच्ची बस्ती के पास बनी आंगनबाड़ी में एक दर्जन से अधिक बच्चे हैं। मगर इनके पास खिलौने तो छोड़िये, बैठक वाली जगह पर छत तक नहीं है। इसके अलावा आस-पास में कचरे के ढेर पड़े हैं, जहां पर आए दिन सांप और बिच्छूनिकलना आम बात है। इसके अलावा यहां बच्चों और स्टाफ के लिए टॉयलेट की भी सुविधा नहीं है। बारिश के दौरान छत नहीं होने की स्थति में स्टाफ को मजबूरन अवकाश करना पड़ता है। इसके अलावा सरकारी जमीन पर कच्चा कमरा बनाया है, जिसमें पंखा तक नहीं है। यहां सरकारी योजनाओं के सामान को बचाना भी मुश्किल हो जाता है।

.