Kuno National Park: भारत में बढ़ेगा चीतों का कुनबा, इस महीने मिलेगी 12 चीतों की सौगात
नई दिल्ली। सितंबर 2022 में भारत ने नामीबिया से लाए गए 8 चीतों की अगुवाई की थी। वहीं अब फिर से दक्षिण अफ्रीका से चीते भारत आने के लिए तैयार हैं। दक्षिण अफ्रीका से जो चीते भारत आने वाले हैं उन्हें पिछले छः महीनों से क्वारंटाइन करके रखा गया है और उन्हें लाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। ये जानकारी पर्यावरण मंत्रालय ने साझा की है।
भारत आएंगे 12 चीते
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका से इस बार 12 चीते भारत लाए जा रहे हैं। इनमें 5 नर और 7 मादा चीता हैं। वहीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की बैठक में कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने अफ्रीका से लाए जा रहे इन चीतों की तैयारियों पर एक प्रेजेंटेशन दी थी। इन चीतों के लिए सारी सुविधाओं के साथ-साथ 14 बाड़े तैयार किए गए हैं।
70 साल पहल भारत से विलुप्त हो गए थे चीते
गौरतलब है कि धरती पर सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाले जानवर को 1952 में सरकार ने विलुप्त घोषित कर दिया था। हालांकि सरकार ने पहले भी कई प्रयास किए कि हिंदुस्तान की धरती पर दोबारा से चीते देखे जा सकें। इसके लिए ईरान सरकार से एक एग्रीमेंट भी हुआ था। भारत को ईरानी चीते चाहिए थे और ईरान को भारतीय शेर चाहिए थे। लेकिन उस समय चीतों को लेकर मैदानी तैयारियां वैसी नहीं थी जैसी होनी चाहिए थी और ईरान में भी सरकार बदल चुकी थी। लेकिन इसके 70 साल बाद पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 8 चीतों की सौगात दी थी।
चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क ही क्यों?
चीतों को रहने के लिए ऐसा इलाका चाहिए जहां ऊंचे घास हो। वहीं बात अगर मौसम की करें तो इन्हें बैलेंस मौसम ही रास आता है। जिसके लिए कूनो नेशनल पार्क एक अच्छा विकल्प है। इसके साथ ही चीतों के लिए मन पसंद भोजन हैं जैसे – नीलगाय, सांभर, चीतल और बंदर आदि। ऐसे में कूनो नेशनल पार्क में शिकार का भी अच्छा बंदोबस्त है। साथ ही क्षेत्र फल की बात करें तो कूनो के पास ही शिवपुरी जंगल और चंबल नदी भी है। आस-पास कोई गांव भी नहीं है जिससे इन चीतों को कोई नुकसान पहुंचे या चीतों की वजह से इंसानों को कोई परेशानी हो। वहीं कूनो नेशनल पार्क में 70 से अधिक चीतों को रखने की क्षमता है।
नामीबिया से लाए गए 8 चीते स्वस्थ
सितंबर 2022 में नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीते पूरी तरह स्वस्थ है और खुद को भारतीय वातावरण में ढाल रहे हैं। नवंबर में इन चीतों को क्वारंटाइन से हटा कर बड़े बड़ों में छोड़ा जा चूका है। साथ ही इन चीतों का नामकरण भी कर दिया गया है।