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कनाडा में बैठे खालिस्तान चरमपंथियों का पंजाब के 30 गुरुद्वारों पर नियंत्रण, जानें- कैसे युवाओं को लुभा रहे?

अलगाववादी तत्व भारत और कनाडा में अपना जाल फैलाने में लगे हुए है। इतना ही नहीं पंजाब के 30 गुरुद्वारे कनाडा में बैठे खालिस्तान चरमपंथियों ने नियंत्रण में है।
08:47 AM Sep 28, 2023 IST | Anil Prajapat
Khalistani terrorists

India-Canada : नई दिल्ली। अलगाववादी तत्व भारत और कनाडा में अपना जाल फैलाने में लगे हुए है। इतना ही नहीं पंजाब के 30 गुरुद्वारे कनाडा में बैठे खालिस्तान चरमपंथियों ने नियंत्रण में है। कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक तत्व भोले-भाले सिख युवाओं को वहां बुलाने के लिये वीजा प्रायोजित करने का प्रलोभन दे रहे हैं। सूत्रों ने बुधवार को कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य कनाडाई धरती पर उनके (खालिस्तान के) एजेंडे को आगे बढ़ाना है।

सूत्रों ने कहा कि मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पंगली, भगत सिंह बरार जैसे खालिस्तानी अलगाववादी कनाडा की धरती से अपने खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे सिख युवाओं का इस्तेमाल करते रहे हैं। हालांकि प्रवासी भारतीयों के समर्थन नहीं देने के कारण अलगाववादियों को हालांकि जमीनी स्तर पर समर्थक नहीं मिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था।

30 गुरुद्वारों पर है चरमपंथियों का नियंत्रण

सूत्रों ने बताया कि खालिस्तान समर्थक इन चरमपंथियों के लिए अब ऐसे अधिक से अधिक लोगों को अपने जाल में फं साना आसान हो गया है क्योंकि वे 30 से अधिक गुरुद्वारों पर नियंत्रण रखते हैं। निज्जर, बुआल और बरार ने पंजाब में दविंदर बंबीहा गिरोह, अर्श दल्ला गिरोह जैसे गैंगस्टर के साथ एक नापाक गठजोड़ भी बनाया।

गुरुद्वारों में नौकरी के लिए कर रहे प्रायोजित

सूत्रों ने बताया कि ‘मांग और आपूर्ति के इस तानेबाने’ का इस्तेमाल कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने पंजाब के सिख युवाओं को प्रलोभन देने के लिए किया। इस साजिश को आगे बढ़ाने के लिये सिख युवाओं को प्लंबर, ट्रक चालक जैसी नौकरियों और अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित गुरुद्वारों में सेवादार, रागी और पाठियों जैसे धार्मिक कार्यों के लिए प्रायोजित करने का एक नया विचार दिया गया।

छात्रों को बना रहे हैं निशाना

सूत्रों ने बताया कि अलगाववादी कनाडा में ऐसे भारतीय युवाओं और छात्रों की पहचान करते हैं जिन्हें अपना खर्चा उठाने में मुश्किल आती है और उन्हें विविध नौकरियों और आश्रय के संबंध में मदद की आवश्यकता है। कनाडा में अवैध प्रवासियों और ऐसे छात्रों के चरमपंथियों के जाल में फंसने की सबसे अधिक आशंका होती है जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है लेकिन उपयुक्त नौकरी नहीं मिल पायी है।

खालिस्तान समर्थक चरमपंथी उन्हें गुरुद्वारे के संसाधनों का उपयोग करके आश्रय और आजीविका के लिए निम्न स्तर की नौकरियों की पेशकश करते हैं। इसके बाद ये “ऋणी” युवा स्वेच्छा से या अनिच्छा से कनाडा में खालिस्तान समर्थकों में शामिल हो जाते हैं।

विशिष्ट सूचना पर विचार के लिए तैयार

एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या में भारत की संभावित संलिप्तता के कनाडा के आरोपों के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली ओटावा को बता चुका है कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है तथा वह मामले में विशिष्ट और प्रासंगिक सूचना पर विचार करने के लिए तैयार है। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करने के बाद मंगलवार को न्यूयार्क में विदेश संबंध परिषद में बातचीत के दौरान ये टिप्पणियां कीं।

उन्होंने कहा,आपको यह भी समझना पड़ेगा कि पिछले कुछ वर्ष में कनाडा में अलगाववादी ताकतों, संगठित अपराध, हिंसा, चरमपंथ से जुड़े काफी संगठित अपराध देखे गए हैं। इनका आपस में बहुत गहरा संबंध है। हमारे राजनयिकों को धमकाया जाता है व हमारे वाणिज्य दूतावासों पर हमला किया गया।

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