Karva Chauth : चंद्र दर्शन के लिए सुहागिनों को नहीं करना पड़ेगा ज्यादा इंतजार, जानें-कब निकलेगा चांद?
Karva Chauth : जयपुर। पति की लंबी आयु और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना से सुहागिन महिलाएं आज करवा चौथ का निर्जल व्रत रखेंगी। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ कहा जाता है। इस चतुर्थी की रात चौथ माता की पूजा और चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है। रात में चंद्र दर्शन और पूजन के बाद ही महिलाएं व्रत खोलती हैं। ज्योतिषी पं. गोरीशंकर शर्मा ने बताया कि आज चंद्रोदय रात्रि 8.15 बजे होगा। इसके बाद महिलाएं चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित कर व्रत संपन्न करेंगी। इससे पूर्व सुबह महिलाएं सोलह श्रृंगार में सजधजकर भगवान गणपति और चौथ माता की पूजा-अर्चना कर कथा सुनेंगी।
मौसम विभाग की मानें तो राजस्थान में आज मौसम साफ रहेगा। ऐसे में महिलाओं को करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए इंतजार नहीं करना होगा। राजधानी जयपुर में आज रात 8.15 बजे चंद्रोदय होगा। इसके अलावा जोधपुर में रात 8.26 बजे, उदयपुर में रात 8.41 बजे, कोटा में रात 8.23 बजे, बीकानेर में रात 8.27 बजे, अलवर में रात 8.13 बजे, बीकानेर में रात 8.20 बजे, झुंझुनूं में रात 8.18 बजे, सीकर में रात 8.20 बजे सहित प्रदेश के सभी शहरों में 8.30 के आसपास चांद निकलेगा।
ऐसे करे पूजा-अर्चना
पौराणिक मान्यतानुसार चंद्रमा दिखाई देने वाली कार्तिक कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को ब्रह्मबेला में स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर अपने सुहाग की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रह बालू अथवा सफेद मिट्टी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चन्द्रमा की वेदी बनाकर इन सभी देवों को स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करना चाहिए। तत्पश्चात देवी पार्वती का पूजन - ॐ शिवायै नमः से, शिव का ॐ नमः शिवाय से, स्वामी कार्तिकेय का ॐ षण्मुखाय नमः से, गणेश का ॐ गणेशाय नमः से तथा चंद्रमा का पूजन ॐ सोमाय नमः से करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य के अनुसार तांबे अथवा काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी सेनिर्मित मिट्टी के दस अथवा ग्यारह करवे पूजन हेतु रखना चाहिए।
करवों में रखे घी से बनी लड्डू का नैवेद्य
करवों में घी से बनी लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करना चाहिए। करवा चौथ व्रत की कथा पठन- श्रवण करनी चाहिए। सायंकाल चन्द्रोदय हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान कर ब्राह्मण, सुहागिन स्त्रियों व पति के माता- पिता को भोजन कराना चाहिए। पति की माता नहीं होने पर उनके तुल्य किसी स्त्री को उपरोक्त रूप से अर्पित एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंटकर आशीर्वाद लेना चाहिए। तत्पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करना चाहिए।
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