करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र कालवी का निधन, 1999 में BJP से नाता तोड़ चुनी थी समाज सेवा की राह, किए थे कई बड़े आंदोलन
जयपुर। करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का देर रात 2 बजे कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया। 80 साल के लोकेंद्र सिंह कालवी ने जयपुर में सवाई मानसिंह अस्पताल में अंतिम साल ली। कालवी को जून 2022 में ब्रेन स्टोक आया था। वो तभी से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। लेकिन, देर रात कार्डिएक अरेस्ट के चलते एसएमएस अस्पताल में उनका निधन हो गया। जयपुर के राजपूत सभा भवन में अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा गया है। इसके बाद उनकी पार्थिव देह को दोपहर में नागौर जिले के उनके पैतृक गांव कालवी ले जाया जाएगा। जहां पर दोपहर 2.15 बजे कालवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन की खबर सुनते ही राजपूत समाज सहित उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है।
कालवी ने क्यों छोड़ी थी भाजपा?
लोकेंद्र सिंह कालवी भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य थे। उन्होंने भाजपा के टिकट पर साल 1998 में अपने पिता की परंपरागत सीट बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वो हार गए थे। साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने राजस्थान के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया तो कालवी ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
समाज के लिए कई बड़े आंदोलन
इसके बाद कालवी समाज सेवा की राह पर चले पड़े। कालवी ने 23 सितम्बर 2006 में राजपूत समाज के 11 मुद्दों को लेकर श्री राजपूत करणी सेना का गठन किया। करणी सेना ने समाज के हर गरीब के लिए लड़ाई लड़ी। आरक्षण के लिए आज तक संघर्ष जारी है। उनके नेतृत्व में राजपूत समाज ने कई बार बड़े आंदोलन किए थे।
जोधा अकबर के खिलाफ अभियान चला सुर्खियों में आए थे कालवी
नागौर जिले के कालवी गांव में 8 अगस्त 1955 को जन्मे लोकेंद्र सिंह कालवी अपने समाज के मुद्दों को लेकर पिछले डेढ़ दशक से काफी मुखर रहे हैं। कालवी की पढ़ाई अजमेर के मेयो कॉलेज से हुई थी। वो बॉस्केटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। साल 2006 में कालवी ने श्री राजपूत करणी सेना की स्थापना की थी। वो पहली बार फिल्म जोधा अकबर के खिलाफ अभियान चलाकर सुर्खियों में आए थे। इसके बाद उनके नेतृत्व में साल 2018 में देशभर में करणी सेना ने फिल्म पद्मावत का विरोध किया था। फिल्म की शूटिंग के दौरान राजधानी जयपुर में जमकर हंगामा भी हुआ था।
ये थी सबसे खास बात
लोकेंद्र सिंह कालवी के पिता का साल 1992 में निधन हो गया था। इसके बाद उनके इकलौते बेटे लोकेंद्र को पगड़ी बांधी गई। लेकिन, खास बात ये रही कि 1992 से लेकर अब तक कालवी ने अपने पिताजी की खाकी पगड़ी और वेशभूषा को धारण किया। वो अपने पिता के आचरणों का अनुसरण अंत तक करते रहे।