For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

राज्यपाल कलराज मिश्र की झलकी नाराजगी, कहा- सीधे सत्र बुलाने की परिपाटी लोकतंत्र के लिए घातक

08:15 AM Jan 13, 2023 IST | Supriya Sarkaar
राज्यपाल कलराज मिश्र की झलकी नाराजगी  कहा  सीधे सत्र बुलाने की परिपाटी लोकतंत्र के लिए घातक

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा का सत्रावसान नहीं कर पूरे साल सत्र निरंतर रहने के मसले पर आखिरकार राज्यपाल कलराज मिश्र ने नाराजगी जता ही दी। राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार की अनुशंसा पर विधानसभा का सत्र आहूत करने की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। उन्होंने कहा कि सत्रावसान नहीं कर सीधे सत्र बुलाने की जो परिपाटी बन रही है, वह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए घातक है। इससे विधायकों को निर्धारित संख्या में प्रश्न के अतिरिक्त अवसर प्राप्त नहीं होते हैं और संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी नहीं होती है।

Advertisement

उन्होंने कहा कि विधानसभाओं का विधिवत सत्रावसान हो और नया सत्र आहूत हो, इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि साल में तीन बार सत्र आहूत किए जाने का नियम है। इसमें बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र शामिल है। गौरतलब है कि प्रदेश विधानसभा में 2020 से पूर साल सत्रावसान नहीं करने की परंपरा बन गई है।

(Also Read- कोटा मेडिकल कॉलेज में बनेगी DNA लैब, 435 लाख रुपए की मशीनरी खरीदेगा महाविद्यालय)

राज्यपाल संवैधानिक संस्था है, व्यक्ति नहीं

विधेयक जनहित में हों तभी स्वीकृति विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में गुरुवार को मिश्र ने कहा कि राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं है, वह संवैधानिक संस्था है और उसे जब संवैधानिक आधार पर यह संतुष्टि हो जाती है कि कानून जनहित में है, तभी वह उसे स्वीकृति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल पर विधेयक को रोके जाने का आरोप लगता है। विधेयक को स्वीकृति देने की प्रक्रिया को पहले समझना होगा। यदि राज्यपाल को यह लगता है कि विधेयक खामी है तो वे उसे वापस सरकार को भेज सकता है।

बैठकें कम होना चिंताजनक 

राज्यपाल ने विधानसभा में बैठकों की संख्या कम होने पर चिंता जताते हुए कहा कि सदस्य जनता से जुड़े मुद्दों पर पूरी तैयारी के साथ सदन में प्रभावी चर्चा करें। उन्होंने कहा कि विधायक सदन में महत्वपूर्ण विषयों पर होने वाली बहसों के दौरान अधिकाधिक उपस्थिति रहे। उन्होंने प्राइवेट मेम्बर बिल को भी अधिकाधिक बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि सदनों में संसदीय कार्यवाही से संबंधित प्रमुख निर्णयों से जुड़ी शोध सामग्री प्रदान करने की त्वरित व्यवस्था विकसित होनी चाहिए। संसद और विधानसभाओं को लोकतंत्र के मंदिर बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि यहां राजनीति से ऊपर उठकर जनहित के मुद्दों पर संवेदनशील होकर विचार करें। उन्होंने कहा कि यहां जो भी बहस या बिजनेस हो, वह आमजन के सतत विकास के लिए हो।

(Also Read- अब व्हाट्सएप पर दर्ज हो जाएगी ‘चिरंजीवी’ शिकायत, अस्पतालों में इलाज के नाम पर वसूली होगी बंद)

.