कजरी तीज आज...कुंवारी लड़कियों की हर मनोकामना होगी पूरी, बस इस तरह करें गौरी-शंकर की पूजा
Kajari Teej: आज देशभर में कजरी तीज का त्योहार मनाया जा रहा है। वैसे तो सालभर में तीन बार तीज मनाई जाती है, जिसमें हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज शामिल है। लेकिन हिंदू धर्म में कजरी तीज का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ निर्जला व्रत रखकर गौरी शंकर की पूजा करती हैं। कजरी तीज का व्रत रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कजरी तीज का व्रत किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। कजरी तीज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में ज्यादा प्रचलित है। ये त्योहार हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। ये तिथि 1 सितंबर से शुरू हो गई है, लेकिन उदयातिथि के अनुसार त्योहार आज यानी 2 सितंबर को मनाया जा रहा है।
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कुंवारी लड़कियों की भी होती है मनोकामना पूर्ण
कतरी तीज का व्रत सुहागिनों के साथ साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती है। यह महिला और लड़कियों के लिए काफी फलदायी होता है। कजरी तीज भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। ऐसे में मान्यता है कि कुंवारी लड़की इस दिन सच्चे दिल से गौरी शंकर की पूजा करती है और उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
कजरी तीज का पूजा का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि एक सितंबर को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो गई है और आज रात 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त आज यानी 2 सितंबर को सुबह 7.57 से शुरू हो चुका है और सुबह 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
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पूजा की विधि?
-कजरी तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या हरे रंग के साफ कपड़े पहनें।
-साफ-सफाई के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें और तीज के व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जल व्रत रखें।
-इसके बाद गौरी शंकर नीमड़ी माता की पूजा करें। इसमें सबसे पहले नीमड़ी माता को जल, रोली और अक्षत चढ़ाएं।
-फिर मेहंदी, श्रृंगार सामग्री, फल फूल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक करें और मां गोरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करते हुए विधि विधान से पूजा करें।
-शाम को सोलह श्रृंगार करें और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करें। पूजा पूरी होने के बाद घर की बड़ी महिलाओं के पैर छुकर आशीर्वाद लें।