पर्यटकों से फिर गुलजार हुए झालाना, सरिस्का और रणथंभौर अभयारण
जयपुर। प्रदेश के वन्य कर्मी छह दिन की हड़ताल के बाद रविवार को पुनः काम पर पंहुचे। इसके साथ ही 9 फरवरी से बंद वन्य जीव अभयारण्यों के दरवाजे खोल दिए गए। ऐसे में वन्य जीव प्रेमियों के पहुंचने से अभयारण्यों में पहले जैसी रौनक लोट आई। राजधानी के झालाना, आमागढ़ लेपर्ड सफारी, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क सहित सरिस्का, रणथंभौर टाइगर सफारी और प्रदेश के अन्य जन्तुआलयों में क्षमता से अधिक पर्यटक पंहुचे। रविवार को जयपुर में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म में बढ़ोतरी देखने को मिली। रविवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के तीन दिन बाद गेट खुलने पर दिन भर में 2303 पर्यटक पंहुचे।
किस जगह पर पहुंचे कितने पर्यटक
बायोलॉजिकल पार्क में 2303, हाथी गांव में 552 और वाइल्डलाइफ सफारी के लिए 195 पर्यटक पंहुचे। रविवार को झालाना लेपर्ड सफारी में 132 और आमागढ़ लेपर्ड सफारी में 78 पर्यटकों ने वन्यजीवों का दीदार किया।
टाइगर सफारी पुनः शुरू होने से पर्यटकों के चेहरे खिले
वन्यकर्मियों की हड़ताल के चलते बंद नेशनल पार्को सरिस्का और रणथंभौर में सफारी रविवार को पुनः शुरू होने पर पर्यटकों के चेहरे पर ख़ुशी देखने को मिली। सवाईमाधौपुर डीएफ़ओ पर्यटन संदीप कुमार ने बताया कि तीन दिन बाद सफारी शुरू होने पर बड़ी संख्या में पर्यटक पंहुचे। रणथंभौर में सफारी के लिए 130 जिप्सी हैं, जो पूरी क्षमता से चली। इस दौरान सुबह और शाम दोनों पारियों में करीब 3 हजार पर्यटकों ने टाइगर पार्क में भ्रमण किया। वहीं, सरिस्का मेंवनकर्मियों ने 9 फरवरी से सरिस्का के सदर गेट, टहला गेट, सिलीबेरी गेट और अलवर बफर में प्रतापबंध गेट बंद कर दिए थे। इससे सरिस्का जंगल में सफारी पूरी तरह बंद हो गई थी। अलवर डीएफओ डी पी जागावत ने बताया कि सरिस्का में 35 जिप्सी लगी हुई हैं, जिनमें रविवार को करीब 500 पर्यटकों ने सरिस्का में भ्रमण किया।
वन और वन्यजीवों की देखरेख शुरू
कर्मचारियों की हड़ताल के चलते जंगल में बाघों की मॉनिटरिंग के अलावा वन्यजीवों के रेस्क्यू ऑपरेशन, अतिक्रमण, अवैध खनन, अवैध कटान जैसे अनेक काम ठप हो गए थे। रणथंभौर, भरतपुर, कोटा सहित प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व, लेपर्ड सफारी, बर्ड सेंचुरी सहित सभी जगहों पर वन्यजीवों के हालात खराब थे, वहीं पर्यटकों को भी परेशानी हो रही थी। शनिवार को वन मंत्री हेमाराम चौधरी से बातचीत के बाद संयुक्त संघर्ष समिति वन विभाग द्वारा आंदोलन को 2 महीने के लिए स्थगित करने का फैसला किया गया। कर्मचारियों के काम पर लौटने के बाद पुनः वन्यजीवों की देखरेख शुरू हो गई है।