भूमि एकादशी या जया एकादशी को करें भगवान विष्णु की आराधना, अश्वमेध यज्ञ के समान मिलता है फल
हिंदू धर्म में सभी एकादशियों का अपना महत्व है, लेकिन माघ माह के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी का विशेष महत्व है। इस बार जया एकादशी 1 फरवरी 2023 ,बुधवार को है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इसे भूमि एकादशी और भीष्मा एकादशी भी कहा जाता है।
उदियात तिथि में मनेगी एकादशी…
भीष्मा एकादशी इस बार 31 जनवरी 2023 को पूर्वान्ह में 11बजकर 53 पर शुरू होगी। अगले दिन 1 फरवरी 2023 दोपहर 1 बजकर 2 मिनिट तक एकादशी तिथि रहेगी । शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत उदियात तिथि में ही मनाया जाता है । इसलिए जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी को माना जाएगा। एकादशी व्रत की पारणा 2 फरवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 9 मिनिट से 9 बजकर 19 मिनिट तक रहेगा। पारणा तिथि के दिन द्वादशी तिथि की समाप्ति 2 फरवरी को शाम 4 बजकर 26 मिनिट पर होगी।
श्रीहरि का पीले फूलों से करें पूजन…
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर, गंगा जल मिले पानी से स्नान करें । इसके बाद श्रीहरि की पूजा का संकल्प करें। स्नान के बाद आचमन करे और स्वयं को पवित्र करें । इसके बाद भगवान श्रीहरि की पूजा करें। उन्हें पीले फूल,पीले फल,पीली मिठाई, कुमकुम,पान ,सुपारी अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और अर्पित किया गया भोग ,प्रसाद के रुप में सभी परिजनों को दे देवें।
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया एकादशी का महत्व…
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने पांडु पुत्र युधिष्ठिर को जया एकादशी का महत्व बताया था। इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है । यह व्रत बहुत पुण्यदायी होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति प्रेत ,भूत,पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। भीष्म एकादशी का व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है।