NSUI की हार या नियमों की उड़ती धज्जियां? क्यों गहलोत सरकार ने छात्रसंघ चुनावों से हाथ पीछे खींच लिए
Rajasthan Student Union Election 2023: राजस्थान में इस बार कैंपस में राजनीति का अखाड़ा नहीं सजेगा जहां गहलोत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने शनिवार की रात एक आदेश जारी कर प्रदेशभर में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने का फैसला किया है. सरकार का यह आदेश आने के बाद से लगातार छात्रनेताओं में आक्रोश है और अब जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रनेता चुनाव करवाने की मांग पर लामंबद हो गए हैं.
छात्रनेताओं का कहना है कि वह पिछले डेढ़ दो महीने से चुनावी तैयारियां कर रहे थे और कई छात्रनेता पिछले 4-5 साल से चुनाव का इंतजार कर रहे थे लेकिन सरकार के फैसले के बाद प्रदेशभर की यूनिवर्सिटी में गहमागहमी का माहौल है लेकिन आखिर सरकार चुनावी साल में छात्रसंघ चुनाव करवाने से क्यों बच रही है?
क्या छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के पीछे विधानसभा चुनाव से कोई संबंध है या नियमों की धज्जियां और धनबल का जोर ही छात्र नेताओं पर भारी पड़ गया. आइए समझते हैं कि किन कारणों से सरकार ने छात्रसंघ चुनावों से हाथ पीछे खींच लिए.
विधानसभा चुनाव से पहले NSUI की हार!
दरअसल साल के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने तय हैं ऐसे में उससे पहले छात्रसंघ चुनाव होने के कई मायने हैं जहां इन चुनावों में युवाओं की भागीदारी होने के साथ ही फर्स्ट टाइम वोटर्स भी बड़ी संख्या में होते हैं. वहीं बीजेपी और कांग्रेल दोनों ही पार्टियों के छात्र संगठन चुनावों में उतरते हैं ऐसे में हार जीत से सियासी नैरेटिव को बल मिलता है.
पिछले साल हुए छात्रसंघ चुनावों के नतीजों की बात करें तो प्रदेश की 17 प्रमुख यूनिवर्सिटी में NSUI को महज दो में ही जीत मिली थी वहीं बाकी 9 यूनिवर्सिटी में निर्दलीय और 6 यूनिवर्सिटी में एबीवीपी ने जीत का परचम लहराया था. इधर एबीवीपी से जुड़े छात्र नेताओं का कहना है कि सरकार ने हार के डर से ही चुनाव नहीं करवाने का फैसला किया है.
लिंगदोह कमेटी की उड़ती धज्जियां!
बता दें कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों के लिए लिंगदोह कमेटी बनाई गई है जिसमें बताई गई सिफारिशों के हिसाब से ही चुनाव करवाए जाते हैं ऐसे में पिछले काफी समय से यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना था कि कैंपसों में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की धज्जियां उड़ाई जाती है और बेशुमार पैसा बहाया जाता है.
हाल में कई यूनिवर्सिटियों के कुलपतियों ने सरकार के चुनावों को लेकर अपनी नेगेटिव रिपोर्ट भी दी थी. वहीं बीते दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की धज्जियां उड़ाने को लेकर जमकर नाराजगी जताई थी. सीएम ने कहा था कि छात्रसंघ चुनावों से पहले ही स्टूडेंट पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं जैसे किसी विधायक और सांसद का चुनाव हो.
नई शिक्षा नीति में व्यस्त यूनिवर्सिटी प्रशासन
वहीं राजस्थान में इस साल नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई है लेकिन जानकारी मिली है कि अभी तक यूनिवर्सिटी में इसके हिसाब से सिलेबस तैयार नहीं हो पाया है और कई कॉलेजों में अभी तक एडमिशन चल रहे हैं. ऐसे में अगर सरकार इस दौरान छात्रसंघ चुनाव करवाती तो प्रशासन के काफी लोगों को चुनावों में लगाना पड़ता और एडमिशन प्रोसेस और लंबा चला जाता.
इसके अलावा राजस्थान की सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों ने भी हाल में मुख्यमंत्री से चुनाव नहीं कराने की ही सलाह दी थी जिसके बाद शनिवार को विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए.